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सऊदी अरब के किंग सलमान ने ईरान को घेरा, कहा- तेल टैंकर पर हमला 'आतंकी करतूत'

By भाषा | Updated: June 1, 2019 11:17 IST

सलमान इस्लाम के सबसे पवित्र शहर मक्का में जमा हुए मुस्लिम नेताओं के सामने शनिवार को भाषण दे रहे थे। दो क्षेत्रीय शक्तियों के बीच हाल के हफ्तों में तनाव बढ़ने के बाद यह सलमान के अबतक के सबसे कड़े शब्द हैं।

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ठळक मुद्दे 57 सदस्यों वाले इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) में ईरान के एक नुमाइंदे ने हिस्सा लिया है।इस संगठन में खाड़ी, अफ्रीका और एशिया के मुस्लिम देश शामिल हैं।

सऊदी अरब के बादशाह सलमान ने उनके देश को निशाना बना कर हाल में किए हमलों को लेकर ईरान की आलोचना की और उन्हें ‘आतंकी करतूत’ बताया। उनका कहना है कि इन हमलों से वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति जोखिम में है।

सलमान इस्लाम के सबसे पवित्र शहर मक्का में जमा हुए मुस्लिम नेताओं के सामने शनिवार को भाषण दे रहे थे। दो क्षेत्रीय शक्तियों के बीच हाल के हफ्तों में तनाव बढ़ने के बाद यह सलमान के अबतक के सबसे कड़े शब्द हैं। 57 सदस्यों वाले इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) में ईरान के एक नुमाइंदे ने हिस्सा लिया है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व इससे दूर रहा।

खाड़ी देशों की मक्का में बैठक 

इस संगठन में खाड़ी, अफ्रीका और एशिया के मुस्लिम देश शामिल हैं। ओआईसी देशों के नेताओं से बातचीत करते हुए सलमान ने कहा कि दुनिया को आतंकवाद को पालने वालों और उनकी आर्थिक मदद करने वालों से लड़ना चाहिए। उन्होंने हाल के हफ्तों में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अपतटीय क्षेत्र में चार तेल टैंकरों में कथित तोड़फोड़ की घटना को समुद्री यातायात की सुरक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाला बताया।

उन्होंने सऊदी अरब की तेल पाइपलाइन पर ड्रोन से हुए हमले के लिए ईरान समर्थित आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया। सलमान ने कहा, ‘‘ हम जोर देकर कहते हैं कि इन विध्ंवसकारी कृत्यों का लक्ष्य सिर्फ सऊदी अरब और खाड़ी क्षेत्र नहीं हैं बल्कि नौवहन सुरक्षा और दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति को भी निशाना बनाना है।’’ ईरान ने घटना में संलिप्तता से इनकार किया है।

ईरान को नहीं मिला न्योता 

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने सम्मेलन शुरू होने से पहले ओआईसी के नेताओं के लिए अपने संदेश में उनसे फलस्तीन के मुद्दे पर केंद्रित रहने का अनुरोध किया। शुक्रवार को ऑनलाइन प्रकाशित हुए संदेश में रूहानी ने कहा कि मुस्लिम नेताओं को ट्रंप प्रशासन के आगामी इज़राइल-फलस्तीन योजना के मद्देनजर फलस्तीन राष्ट्र के मुद्दे की अहमियत को ‘हाशिये’ पर नहीं जाने देना चाहिए।

रूहानी ने यह भी कहा कि उन्हें इस्लामी सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया। मगर उन्होंने कहा कि ईरान व्हाइट हाउस के कथित ‘सदी के समझौते’ का मुकाबला करने के लिए सभी मुस्लिम नेताओं के साथ काम करने के लिए तैयार है।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दामाद जेरेड कुशनर को इस महीने के अंत में बहरीन में एक सम्मेलन में बहुप्रतीक्षित पश्चिम एशिया शांति योजना के आर्थिक पहलुओं को जारी करना है।

सदी का समझौता 

ट्रंप ने इस योजना को ‘सदी का समझौता’ बताया है लेकिन फलस्तीनियों ने इसे खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें ट्रंप प्रशासन की नीतियां इज़राइल के पक्ष में झुकी दिखती है। इज़राइल का दावा है कि यरुशलम उसकी अभिन्न और अविभाजित राजधानी है, जबकि फलस्तीन शहर के पूर्वी हिस्से पर अपना दावा करता है।

बहरहाल, सलमान ने ओआईसी के नेताओं से कहा कि फलस्तीन के अधिकार का मुद्दा संगठन की बुनियाद बना रहेगा। यह 50 साल पहले पूर्वी यरुशलम में अल अक्सा मस्जिद पर चरमपंथियों के हमले की प्रतिक्रिया में गठित किया गया था। यह मस्जिद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है।

उन्होंने कहा कि मस्जिद अब भी कब्जे में हैं और वह खतरे में है। सलमान ने कहा कि अल कुदस अल शरीफ के वैध दर्ज को नकारने वाले किसी भी उपाय को हम खारिज करते हैं।

तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कैवूसोग्लू ने कहा कि अगर किसी शांति समझौते में 1967 की सीमाओं के अनुरूप एक स्वतंत्र और संप्रभु फलस्तीन राज्य शामिल नहीं किया जाता है जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम हो तो उस समझौते को ओआईसी खारिज कर देगी। 

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