पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी के नेतृत्व वाले जत्थे ने करतारपुर गुरुद्वारा साहिब में अरदास की

By भाषा | Updated: November 18, 2021 23:08 IST2021-11-18T23:08:10+5:302021-11-18T23:08:10+5:30

Jatha led by Chief Minister of Punjab Channi offered Ardas at Kartarpur Gurdwara Sahib | पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी के नेतृत्व वाले जत्थे ने करतारपुर गुरुद्वारा साहिब में अरदास की

पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी के नेतृत्व वाले जत्थे ने करतारपुर गुरुद्वारा साहिब में अरदास की

लाहौर/गुरदासपुर, 18 नवंबर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और राज्य मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों ने बृहस्पतिवार को पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब में अरदास की।

वे करतारपुर गलियारे से होकर गुरुद्वारा पहुंचे। इसे 20 महीने के अंतराल के बाद श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोला गया है और इससे होकर जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं है।

चन्नी ने गुरुद्वारा पहुंचने पर कहा, ‘‘मैं यहां आकर बहुत खुश हूं। मुझे पंजाबियों, पाकिस्तानियों और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से अपार प्यार मिला और मैं इसके लिए बहुत आभारी हूं। ’’

उन्होंने वहां श्रद्धालुओं से कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बहुत उदारता दिखाई और प्रेम एवं समर्पण के साथ सुंदर परिसर का निर्माण किया।

चन्नी ने कहा, ‘‘हमें यहां से काफी प्रेम एवं सम्मान मिला।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाबा गुरु नानक सबके हैं। ’’

चार किलोमीटर लंबा यह गलियारा, पाकिस्तान के करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब को गुरदासपुर जिला स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ता है। दरबार साहिब में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताये थे।

चन्नी ने फिर से करतारपुर गलियारा खोलने को लेकर, लौटने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इमरान खान का शुक्रिया अदा किया। कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए तीर्थयात्रा करीब 20 महीने से स्थगित थी।

पंजाब के मुख्यमंत्री ने दोनों देशों की सरकारों से गुरुद्वारा दरबार साहिब की यात्रा की अनुमति हासिल करने की प्रक्रिया आसान बनाने का अनुरोध किया।

उन्होंने पूरे पंजाब से डेरा बाबा नानक तक मुफ्त बस सेवा की भी घोषणा की ताकि तीर्थयात्रा को प्रोत्साहित किया जा सके।

पंजाब के मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाले जत्थे में तीन मंत्री, विधायकों और वरिष्ठ अधिकारियों सहित 17 सदस्य थे, जो गुरुद्वारा दरबार साहिब गये। इसके अलावा मुख्यमंत्री के साथ उनके परिवार के सदस्य भी थे।

‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ (ईटीपीबी) के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने लाहौर में बताया कि चन्नी नीत जत्था के अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं का 21 सदस्यीय जत्था भी गुरुद्वारा दरबार साहिब पहुंचा।

करतारपुर परियोजना प्रबंधन इकाई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद लतीफ ने करतारपुर साहिब में भारतीय जत्था की अगवानी की। उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री गुरुद्वारा पहुंच कर बहुत खुश हुए और कहा कि वह फिर से आना चाहेंगे।

जत्था का स्वागत ढोल बजा कर और परिसर में लंगर के आयोजन के साथ किया गया।

हालांकि, पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू मुख्यमंत्री चन्नी नीत जत्था का हिस्सा नहीं थे, जिसने गुरुद्वारा में अरदास की।

सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर दल्ला ने बुधवार रात कहा था कि कांग्रेस नेता ने आधिकारिक रूप से कहा है कि वह 18 नवंबर के बजाय 20 नवंबर को जा सकते हैं।

इस बारे में पूछे जाने पर पंजाब के मंत्री विजय इंदर सिंगला ने कहा कि केंद्र ने राज्य के कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों को चरणबद्ध तरीके से पाकिस्तान में दरबार साहिब की यात्रा करने की अनुमति दी है।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ को आज अनुमति मिली है तथा कुछ को कल और परसों के लिए अनुमति मिलेगी।’’

करतारपुर साहिब से लौटने पर चन्नी ने कहा कि गुरु नानक देव की जयंती से पहले गलियारा को फिर से खोला जाना काफी खुशी की बात है।

उन्होंने दोनों देशों की सरकारों से पंजाब की सीमाओं के जरिए सीमा के आर-पार व्यापार को खोलने का भी आग्रह किया।

चन्नी ने करतारपुर गलियारा फिर से खोले जाने का जिक्र करते हुए कहा था, ‘‘सिख संगत की काफी समय से लंबित अरदास पूरी हो रही है और वे अब बगैर किसी बाधा के इस पवित्र गुरुद्वारा में अरदास कर सकते हैं।’’

भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख अश्विनी शर्मा ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने उत्तरी राज्य की शांति, सौहार्द्र और प्रगति के लिए अरदास की।

इस बीच आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि केंद्र ने पार्टी के एक जत्था को करतारपुर साहिब जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व चन्नी के बीच एक ‘मैच फिक्सिंग’ करार दिया।

भारत से महिलाओं सहित 28 सिखों का पहला जत्था गलियारा फिर से खुलने के प्रथम दिन बुधवार को गुरुद्वारा दरबार साहिब पहुंचा था।

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती (19 नवंबर), गुरु परब से पहले केंद्र ने बुधवार से गलियारा फिर से खोलने की मंगलवार को घोषणा की थी।

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