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Israel-Hamas War: इजराइल में बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ बढ़ा गुस्सा, '66 फीसदी ने कहा नेतन्याहू की जगह कोई और'- सर्वे

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: October 18, 2023 15:13 IST

इजरायल-हमास युद्ध को लेकर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ इजरायली जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लोग पीएम नेतन्याहू के युद्ध नेतृत्व से खासा नाराज हैं।

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ठळक मुद्देइजरायल-हमास युद्ध को लेकर पीएम नेतन्याहू के खिलाफ बढ़ा इजरायली जनता का गुस्साइजरायली अखबार मारीव में कराये गये एक जनमत सर्वे में आये चौंकाने वाले नतीजे इस सर्वे में 66 फीसदी इजरायली लोगों ने कहा कि बेंजामिन नेतन्याहू की जगह कोई और संभाले देश

तेल अवीव: इजरायल-हमास युद्ध को लेकर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ इजरायली जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बताया जा रहा है कि लोग पीएम नेतन्याहू के युद्ध नेतृत्व से खासा नाराज हैं और लोगों को लग रह है कि पीएम नेतन्याहू जिस तरह से हमास लड़ाकों के खिलाफ एक्शन ले रहे हैं, वो बहुत ज्यादा असरदार नहीं है।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार लोगों के बढ़ते आक्रोश का अंदाजा उस वक्त लगा, जब एक इज़रायली कैबिनेट मंत्री राजधानी तेल अवीव के अस्पताल में दौरा करने के लिए पहुंचे लेकिन मरीजों के परिजनों ने उन्हें प्रवेश द्वार से रोक दिया। इसके अलावा हमले में मारे गये एक इजरायली परिवार के एक शख्स ने गुस्से में आकर मंत्री के उपर कॉफी फेंक दी। हालांकि मंत्री इस कॉफी हमले में बच गये लेकिन उनके साथ खड़े अंगरक्षक भीग गए।

इस दौरान अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ और पीड़ित परिवारों के अधिकांश सदस्यों ने उन्हें चिल्लाकर 'देशद्रोही' और 'बेवकूफ' मंत्री कहा।

इस पूरे मामले में एक बात सामने आयी है कि 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किये गये हमले के बाद इजरायली एक-दूसरे के प्रति एकजुट हैं लेकिन जनता नेतन्याहू सरकार के प्रति बहुत ज्यादा नाराज है। लोगों का आरोप है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने देश की सुरक्षा को कम किया और उसे गाजा युद्ध में झोंक दिया है।

इस पूरे घटनाक्रम में एक बात को स्पष्ट है कि इजरायल की राजनीतिक में लंबा सफर तय करने वाले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए फैसले का दिन निकट है। लगभग 1,300 इजरायली मौतों पर जनता का गुस्सा सीधे तौर पर नेतन्याहू के खिलाफ दिखाई दे रहा है।

इजरायल के सियासी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अक्टूबर 2023 के युद्ध में प्रधानमंत्री नेतन्याहू की हार होती है तो उनका हाल भी अक्टूबर 1973 में हुए मिस्र और सीरियाई युद्ध के समान हो सकता है। जिसके कारण इजरायल की तत्कालीन प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर को इस्तीफा देना पड़ा था।

जेरूसलम में शालोम हार्टमैन इंस्टीट्यूट के रिसर्च फेलो आसा एल ने नेतन्याहू और उनकी लंबे समय से इजरायल की राजनीति में प्रभावी उनकी रूढ़िवादी लिकुड पार्टी के बारे में कहा कि यह समय नेतन्याहू और उनकी पार्टी के बहुत बुरा है।

रिसर्च फेलो आसा एल ने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमास हमले के लिए कोई जांच आयोग गठित हुआ है या नहीं या पीएम नेतन्याहू अपनी गलती स्वीकार करते हैं या नहीं। असल मायने यह है कि 'आम इज़रायली नागरिक' क्या सोचते हैं। क्या वो सोचते हैं कि नेतन्याहू हमाल हमले को रोक पाने में असफलत प्रधानमंत्री रहे।"

उन्होंने कहा, "इस युद्ध के समाप्त होने के बाद वह तो जाएंगे ही और साथ में उनका पूरा प्रतिष्ठान (लिकुड पार्टी) भी चला जाएगा।"

इस बीच इजरायली अखबार मारीव में कराये गये एक जनमत सर्वे में पाया गया कि 21 फीसदी इजरायली चाहते हैं कि युद्ध के बाद नेतन्याहू प्रधानमंत्री बने रहें। वहीं 66 फीसदी ने कहा "उनकी जगह कोई और" तो 13 फीसदी ने कोई फैसला नहीं दिया।

इसके अलावा सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि यदि आज की तारीख में चुनाव होते हैं तो पीएम नेतन्याहू की सत्ताधारी लिकुड पार्टी अपनी एक तिहाई सीटें खो देगी, जबकि उसके मुख्य प्रतिद्वंद्वी बेनी गैंट्ज़ की नेशनल यूनिटी पार्टी की सीटों में एक तिहाई बढोतरी होगी औऱ बेनी गैंट्ज़ इजरायल के प्रधानमंत्री बन सकते हैं।

रिसर्च फेलो आसा एल ने कहा कि इजरायल में नेतन्याहू कैबिनेट के कुछ मंत्रियों के अपमान को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि सरकारी के सामने भारी परेशानी आने वाली है।

उन्होंने कहा, "आपने सड़क पर ऐसे लोग मिलेंगे, जो स्वाभाविक रूप से लिकुड समर्थक हैं लेकिन अब उनके विरोध में बातें कर रहे हैं। पीएम नेतन्याहू के प्रति लोगों का क्रोध बढ़ता जा रहा है।"

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