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ईरान के दशकों पुराने हिजाब कानून में होगा बदलाव? जानें ईरानी राष्ट्रपति और अटॉर्नी जनरल ने क्या दिए है संकेत

By आजाद खान | Updated: December 4, 2022 14:10 IST

ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटाजेरी ने यह संकेत देते हुए कहा है कि हिजाब कानून को लेकर चर्चा की जा रही है और इस पर जल्द ही कोई परिणाम आ सकता है।

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ठळक मुद्देईरान के हिजाब कानून में बदलाव होने के संकेत मिले है। यह संकेत ईरानी राष्ट्रपति और अटॉर्नी जनरल ने दिए है। जानकारी के अनुसार, कानून में बदलाव को लेकर चर्चा की जा रही है।

तेहरान:ईरानी सरकार ने हिजाब से जुड़े दशकों पुराने कानून की समीक्षा करने के संकेत दिए है। यह संकेत ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटाजेरी ने दिए है। आपको बता दें कि ईरान के अटॉर्नी जनरल द्वारा यह बयान तब सामने आया है जब पिछले दो महीने से हिजाब को लेकर पूरे ईरान में विरोध-प्रदर्शन जारी है। 

इस बीच कई मीडिया रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पूरे ईरान में हिजाब के विरोध में करीब 200 लोगों ने जान गवाई है। वहीं अगर संयुक्त राष्ट्र की माने तो इस विरोध-प्रदर्शन में कम से कम 300 लोगों की जान गई है। 

हिजाब कानून पर ईरान के अटॉर्नी जनरल ने क्या कहा है

समाचार एजेंसी एएफपी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटाजेरी ने संकेत दिए है कि हिजाब कानून की समीक्षा की जा रही है। ऐसे में उन्होंने कहा है कि हिजाब की अनिवार्यता को लेकर विचार किया जा रहा है और इस पर तेजी से काम चल रहा है। 

उनके मुताबिक, संसद और न्यायपालिका दोनों मिलकर इस कानून की समीक्षा कर रहे है और विचार किया जा रहा है कि इस कानून में अगर बदलाव किया जाना चाहिए तो किस हद तक होना चाहिए। वहीं समाचार एजेंसीआईएसएनए ने बताया कि जफर मोंटाजेरी ने इस बात को साफ नहीं किया है कि मौजूदा हिजाब के कानून में क्या बदलाव किए जाएंगे। 

राष्ट्रपति रायसी ने भी इसे लेकर दिए है संकेत

मामले में बोलते हुए ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटाजेरी आगे कहा है कि इस हिजाब वाले कानून में बदलाव को लेकर चर्चा हो रही है और इस पर एक या दो हफ्ते में कोई परिणाम देखने को मिल सकता है। उनके अनुसार, पिछले महीने के अंत में ही इसे लेकर समीक्षा दल ने संसद के सांस्कृतिक आयोग से मुलाकात की है और इस पर विचार जारी है। 

उधर इससे पहले राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने एक टीवी चैनल पर बोलते हुए कहा है कि देश की गणतंत्रात्मक और इस्लामी नींव संवैधानिक रूप से मजबूत है लेकिन अगर संविधान को सही से चलाने के लिए अगर लचीले तरीके को अपनाना पड़ेगा तो ऐसे में उसे भी इस्तेमाल किया जाएगा। 

टॅग्स :ईरानसंयुक्त राष्ट्रसोशल मीडिया
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