तीनों कानून कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने वाले हैं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का आकलन
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 16, 2021 04:13 PM2021-01-16T16:13:23+5:302021-01-16T16:14:37+5:30
आईएमएफ के एक संचार निदेशक गेरी राइस ने कहा कि नए कानून बिचौलियों की भूमिका को कम करेंगे और दक्षता बढ़ाएंगे.
वाशिंगटनः अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का मानना है कि 'तीनों हालिया कानून' भारत में कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है.
हालांकि आईएमएफ ने यह भी जोड़ा कि नई व्यवस्था को अपनाने की प्रक्रिया के दौरान प्रतिकूल प्रभाव झेलने वाले लोगों के बचाव के लिऐ सामाजिक सुरक्षा का प्रबंध जरूरी है. आईएमएफ के एक संचार निदेशक गेरी राइस ने कहा कि नए कानून बिचौलियों की भूमिका को कम करेंगे और दक्षता बढ़ाएंगे.
उन्होंने वाशिंगटन में कहा, 'हमारा मानना है कि इन तीनों कानूनों में भारत में कृषि सुधारों को आगे बढ़ाए जाने का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता है.' ये कानून किसानों को खरीदारों से प्रत्यक्ष संबंध बनाने का मौका देंगे. इससे बिचौलियों की भूमिका कम होगी, दक्षता बढ़ेगी, जो किसानों को अपनी उपजी की बेहतर कीमत हासिल करने में मदद करेगा और अंतत: ग्रामीण क्षेत्र की वृद्धि को बल देगा.
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में जिन लोगों की नौकरियां जाएंगी, उनके लिए कुछ ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि वे रोजगार बाजार में समायोजित हो सकें. राइस ने कहा कि निश्चत रूप से, इन सुधारों के लाभ प्रभावशीलता और उनके कार्यान्वयन के समय पर निर्भर होंगे. इसलिए सुधार के साथ इन मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है.
कृषि कानूनों संबंधित समिति की बैठक 19 को
कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति अपनी पहली प्रत्यक्ष बैठक 19 जनवरी को यहां पूसा परिसर में कर सकती है. समिति के सदस्य अनिल घनवट ने आज यह बात कही और इस बात पर जोर दिया कि अगर समिति को किसानों से बातचीत करने के लिए उनके प्रदर्शन स्थल पर जाना पड़ा तो वह इसे 'प्रतिष्ठा या अहम का मुद्दा' नहीं बनाएगी.
समिति के सदस्यों को आज दिन में डिजिटल तरीके से वार्ता करनी थी, लेकिन पूर्व सांसद और किसान नेता भूपिंदर सिंह मान के समिति से अलग हो जाने के बाद बैठक नहीं हो सकी. घनवट ने कहा कि समिति के मौजूदा सदस्य अपनी डिजिटल बैठक अब शुक्रवार को कर सकते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि वह तब तक समिति की सदस्यता नहीं छोड़ेंगे जब तक कि शीर्ष अदालत इसके लिए नहीं कहती. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अन्य कोई सदस्य समिति से दूरी बनाएगा. उच्चतम न्यायालय ने नये कृषि कानूनों के मसले पर अध्ययन के लिए 11 जनवरी को चार सदस्यीय समिति का गठन किया था.