भारतीय शांतिरक्षक जितेंद्र कुमार सहित 119 कर्मियों को मिलेगा डैग हैमरस्क्जोल्ड पुरस्कार
By भाषा | Published: May 21, 2019 01:31 PM2019-05-21T13:31:59+5:302019-05-21T13:31:59+5:30
पुलिस अधिकारी जितेंद्र कुमार ने ‘यूएन ऑर्गेनाइजेशन स्टेबलाइजेशन मिशन इन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ द कांगो’ (एमओएनयूएससीओ) में सेवाएं देते समय अपनी जान कुर्बान कर दी। उन्हें शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अंतरराष्ट्रीय दिवस पर डैग हैमरस्क्जोल्ड पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
भारतीय शांतिरक्षक जितेंद्र कुमार उन 119 सैन्य, पुलिस एवं असैन्य कर्मियों में शामिल हैं जिन्हें उनके साहस एवं बलिदान के लिए मरणोपरांत इस साल प्रतिष्ठित संयुक्त राष्ट्र पदक से सम्मानित किया जाएगा।
पुलिस अधिकारी जितेंद्र कुमार ने ‘यूएन ऑर्गेनाइजेशन स्टेबलाइजेशन मिशन इन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ द कांगो’ (एमओएनयूएससीओ) में सेवाएं देते समय अपनी जान कुर्बान कर दी। उन्हें शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अंतरराष्ट्रीय दिवस पर डैग हैमरस्क्जोल्ड पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन यहां एक कार्यक्रम में जितेंद्र की ओर से पदक ग्रहण करेंगे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस करेंगे। भारत संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा के लिए वर्दीधारी जवानों का योगदान देने के मामले में चौथी संख्या पर है।
संयुक्त राष्ट्र की पिछले साल जारी सूचना के अनुसार भारत ने पिछले 70 वर्षों में विभिन्न शांतिरक्षा अभियानों में तैनात अपने सर्वाधिक शांतिरक्षक खोए हैं। देश के 163 सैन्य, पुलिस एवं असैन्य कर्मियों ने अपने कर्तव्य का पालन करने हुए जान कुर्बान की है।
It is a privilege & honour to serve India @UN . Am humbled. Thank U for all the good wishes. Will strive to do my best.
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) November 16, 2015
शांतिरक्षा गतिविधियां राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप होनी चाहिए: भारत
भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि शांतिरक्षा गतिविधियां तभी स्थायी परिणाम देंगी यदि वे देशों की प्राथमिकताओं के अनुरूप हों और उनके नेता एवं संस्थाएं क्रियान्वयन प्रक्रिया में शामिल हों।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के उपस्थायी प्रतिनिधि नागराज नायडू ने सोमवार को महासभा में कहा, ‘‘इससे यह सुनिश्चित होगा कि लाभ दीर्घकालीन हों।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत का मानना है कि विभिन्न देशों और क्षेत्रों में पीबीसी (शांतिरक्षा आयोग) के प्रयासों का तभी स्थायी परिणाम निकलेगा, यदि राष्ट्र के स्वामित्व का सख्ती से पालन किया जाए।’’
नायडू ने कहा कि शांतिरक्षा गतिविधियां राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से मेल खानी चाहिए और उन्हें देश के नेतृत्व एवं राष्ट्रीय संस्थाओं की भागीदारी से लागू किया जाए। उन्होंने जोर दिया कि आज के समय के संघर्ष देश के भीतर मौजूद हैं, इनमें राज्येतर कारक और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी नेटवर्क शामिल हैं।
नायडू ने कहा, ‘‘जटिल एवं आपस में जुड़े संघर्षों का देशों पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है इसलिए, शांति स्थापित करने और उसे बरकरार रखने में हमारा सामूहिक हित है।’’ उन्होंने शांतिरक्षा और उसके निर्णय लेने की क्षमता में महिलाओं एवं युवाओं की ‘‘महत्वपूर्ण’’ भूमिका को भी रेखांकित किया।