आजादी के बाद से ही आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहा भारत, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- हमारा पड़ोसी देश ‘वैश्विक आतंकवाद का केंद्र’

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 28, 2025 15:39 IST2025-09-28T15:38:58+5:302025-09-28T15:39:55+5:30

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से दुनिया भर के नेताओं को संबोधित करते हुए “भारत की जनता की ओर से नमस्कार” के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की।

India facing challenge terrorism since independence Foreign Minister S Jaishankar said pakistan neighboring country 'center of global terrorism' | आजादी के बाद से ही आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहा भारत, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- हमारा पड़ोसी देश ‘वैश्विक आतंकवाद का केंद्र’

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Highlightsदशकों से बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हमलों का कारण इसी एक देश को माना जाता रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल हैं।अधिकार का इस्तेमाल किया और आतंकवाद के आकाओं और अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया।

संयुक्त राष्ट्रः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत आजादी के बाद से ही आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहा है जबकि उसका पड़ोसी देश ‘वैश्विक आतंकवाद का केंद्र’ रहा है। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र की आम बहस को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान की सीमा पार बर्बरता का सबसे ताजा उदाहरण पहलगाम हमला है। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से दुनिया भर के नेताओं को संबोधित करते हुए “भारत की जनता की ओर से नमस्कार” के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की।

उन्होंने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि दशकों से बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हमलों का कारण इसी एक देश को माना जाता रहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा हॉल में उपस्थित लोगों की तालियों के बीच कहा, “भारत आजादी के बाद से ही आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहा है क्योंकि उसका पड़ोसी देश वैश्विक आतंकवाद का केंद्र रहा है।”

विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, “पड़ोसी मुल्क की सीमा पार से हुई बर्बरता का सबसे ताजा उदाहरण इस साल अप्रैल में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या है।” जयशंकर ने कहा, “भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने लोगों की रक्षा करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया और आतंकवाद के आकाओं और अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया।”

भारत ने आगाह किया कि जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों का समर्थन करते हैं, उन्हें पता चलेगा कि यह उन्हें ही काटेगा। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में मई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी।

संयुक्त राष्ट्र में जयशंकर के संबोधन पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया आतंकवाद की स्वीकारोक्ति है: भारत

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंकवाद पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के भाषण पर प्रतिक्रिया देने पर पाकिस्तान पर निशाना साधा और कहा कि पाकिस्तान की यह प्रतिक्रिया लंबे समय से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने की अपनी हरकत स्वीकार करने जैसी है। जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा, “दुनिया में बड़े आतंकवादी हमलों का संबंध उसी एक देश से है। पड़ोसी जो वैश्विक आतंकवाद का केंद्र है।” उन्होंने कहा कि भारत आजादी के बाद से आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहा है।

जयशंकर के संबोधन के बाद शाम के समय पाकिस्तान ने जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत पर आतंकवाद को लेकर “झूठे आरोप” लगाकर “पाकिस्तान की छवि धूमिल करने” का आरोप लगाया। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का जवाब देते हुए भारत ने कहा कि यह "दर्शाता है कि एक पड़ोसी ने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने की अपनी दीर्घकालिक नीति को स्वीकार कर लिया है जबकि उसका नाम भी नहीं लिया गया था।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में द्वितीय सचिव रेन्ताला श्रीनिवास ने कहा, “पाकिस्तान की प्रतिष्ठा सबकुछ बता रही है। विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में आतंकवाद से जुड़ी उसकी छाप साफ दिखाई देती है। यह न केवल उसके पड़ोसियों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक खतरा है।” श्रीनिवास ने कहा, “कोई भी तर्क या असत्य कभी भी आतंकवादियों के अपराधों को छुपा नहीं सकता!”

भारत अपने विकल्प का चुनाव करने की स्वतंत्रता हमेशा कायम रखेगा: यूएनजीए में जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत अपने विकल्प का चुनाव करने की स्वतंत्रता हमेशा कायम रखेगा और यह समकालीन विश्व में तीन प्रमुख सिद्धांत 'आत्मनिर्भरता', 'आत्मरक्षा' और 'आत्मविश्वास पर आगे बढ़ रहा है। जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें उच्चस्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत के लोगों की ओर से नमस्कार।’’

वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत समकालीन विश्व में तीन प्रमुख सिद्धांत 'आत्मनिर्भरता', 'आत्मरक्षा' और 'आत्मविश्वास- के सिद्धांत पर आगे बढ़ रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि 'आत्मनिर्भरता' का अर्थ है, ‘‘अपनी क्षमताएं बढ़ाना, अपनी ताकत बढ़ाना और अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ने देना।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चाहे विनिर्माण क्षेत्र में हो, अंतरिक्ष कार्यक्रमों में हो, दवाइयों के उत्पादन में हो या डिजिटल अनुप्रयोगों में हो, हम इसके परिणाम देख ही रहे हैं। भारत में निर्माण और नवाचार से विश्व को भी लाभ होता है।’’ जयशंकर ने ‘आत्मरक्षा’ पर विस्तार से बात करते हुए कहा कि भारत अपने लोगों की रक्षा और देश व विदेश में उनके हितों को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इसका मतलब आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करना , हमारी सीमाओं की मजबूत सुरक्षा, विभिन्न देशों के साथ साझेदारी कायम करना और विदेश में अपने समुदाय की सहायता करना है।’’ उन्होंने कहा कि ‘आत्मविश्वास’ का तात्पर्य है कि सबसे अधिक आबादी वाले देश, और तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में, ‘‘हमें पता हो कि फिलहाल हम कहां है और भविष्य में हमें कहां होना है।

भारत अपने विकल्प का चुनाव करने की स्वतंत्रता हमेशा कायम रखेगा और हमेशा ग्लोबल साउथ की आवाज बना रहेगा।’’ जयशंकर ने कहा कि ऐसे समय में जब यूक्रेन और पश्चिम एशिया में दो अहम संघर्ष जारी हैं तो यह प्रश्न अवश्य पूछा जाना चाहिए कि क्या संयुक्त राष्ट्र अपेक्षाओं पर खरा उतरा है। उन्होंने कहा, "हममें से प्रत्येक के पास शांति और समृद्धि में योगदान देने का अवसर है।

संघर्षों के मामले में, विशेष रूप से यूक्रेन और गाजा में यहां तक कि उन देशों ने भी संघर्ष का प्रभाव महसूस किया है जो सीधे तौर पर इसमें शामिल नहीं हैं।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जो राष्ट्र सभी पक्षों के साथ तालमेल बिठा सकते हैं उन्हें समाधान खोजने के लिए आगे आना चाहिए। भारत शत्रुता समाप्त करने का आह्वान करता है और शांति बहाल करने में मदद करने वाली किसी भी पहल का समर्थन करेगा।’’

उन्होंने कहा कि ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा, विशेष रूप से 2022 के बाद से संघर्ष और व्यवधान की सबसे अधिक शिकार रही हैं। जयशंकर ने व्यापार के मुद्दे पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, ‘‘ अब हम शुल्क में अस्थिरता और अनिश्चित बाज़ार का सामना कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, जोखिम से बचना अहम होता जा रहा है,

चाहे वह आपूर्ति के सीमित स्रोतों से हो या किसी खास बाजार पर अत्यधिक निर्भरता से।’’ उनकी यह टिप्पणी दुनिया भर के देशों पर अमेरिका द्वारा शुल्क लगाए जाने की पृष्ठभूमि में आई है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया है, जिसमें 25 प्रतिशत शुल्क रूस से तेल की खरीद पर लगाया गया है।

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