(हरिंदर मिश्रा)
यरुशलम, 18 अक्टूबर भारत और इजराइल सोमवार को मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर अगले महीने से बातचीत फिर शुरू करने पर सहमत हो गए हैं। दोनों पक्ष इस समझौते को अगले साल जून तक पूरा करने के लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं।
इस मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर और इजराइल के वैकल्पिक प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री याइर लापिद के बीच ‘‘अत्यंत सार्थक बातचीत’’ हुई।
जयशंकर ने लापिद से मुलाकात के बाद कहा, ‘‘हमारे अधिकारी वास्तव में नवंबर में भारत-इजराइल मुक्त व्यापार वार्ता को फिर शुरू करने पर सहमत हुए हैं। उन्हें पूरा भरोसा है कि हम अगले जून तक वार्ता को पूरा करने में सक्षम होंगे।’’
एफटीए को लेकर दोनों पक्षों के बीच एक दशक से अधिक समय से चर्चा चल रही है, लेकिन यह पहली बार है कि प्रक्रिया को गंभीरता प्रदान करते हुए एक निश्चित समय सीमा निर्धारित की गई है।
इस मुद्दे पर दोनों पक्षों द्वारा वर्षों से कई घोषणाएं की गई हैं लेकिन समझौता अब तक नहीं हो पाया है।
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘वैकल्पिक प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री (इजराइल) से आज अत्यंत सार्थक बातचीत हुई। क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। एफटीए वार्ता को अगले महीने फिर से शुरू करने तथा कोविड टीकाकरण प्रमाणपत्रों को पारस्परिक रूप से मान्यता देने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए।’’
लापिद ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों और व्यापारिक समुदायों के हित में एफटीए को "जितनी जल्दी हो सके अंतिम रूप दिया जाएगा।"
उन्होंने कहा कि वह दोनों देशों के बीच दोस्ती के और मजबूत होने को लेकर आशान्वित हैं तथा भारत इजराइल का रणनीतिक भागीदार ही नहीं, बल्कि दोस्त भी है।
लापिद ने कहा, "हम कई वर्षों से भारत को एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखते हैं। भारत सहयोग के नए अवसर भी लाता है।"
दोनों मंत्रियों ने पानी और कृषि के क्षेत्र में सहयोग को लेकर भी चर्चा की।
लापिद ने ट्वीट किया, ‘‘मेरी भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और ऊर्जा मंत्री (इजराइल) के. एल्हारर के साथ बैठक संपन्न हुई है। हम हमारे देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा को फिर शुरू करने और टीकाकरण प्रमाणपत्रों को पारस्परिक रूप से मान्यता देने पर सहमत हुए हैं।’’
उन्होंने इजराइल की यात्रा करने के लिए अपने ‘‘मित्र’’ जयशंकर का धन्यवाद व्यक्त किया जो दोनों देशों के बीच अगले साल द्विपक्षीय संबंधों के 30 साल होने संबंधी घटनाक्रम से पहले हुई है।
भारत के नेतृत्व वाली वैश्विक पहल-अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में भी इजराइल शामिल हुआ जिससे संबंधित समझौते पर जयशंकर और इजराइली ऊर्जा मंत्री करीन एल्हारर ने दस्तखत किए।
जयशंकर ने आईएसए के सबसे नए सदस्य के रूप में इजराइल का स्वागत करते हुए कहा, "सबसे पहले मैं यह बताना चाहता हूं कि इज़राइल को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होते हुए देखना कितना सुखद है। मुझे लगता है कि आपका बहुत अधिक महत्व है और जैसे ही हम सीओपी 26 के करीब पहुंचते हैं, यह हमारे आगे बढ़ते एजेंडे एवं हरित अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के बाद एल्हारर ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि जलवायु संकट के समाधान और अपने बच्चों एवं प्रियजनों के लिए सुरक्षित भविष्य प्राप्त करने में हम केवल वैश्विक कार्रवाई से ही सफल हो पाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सूर्य के प्रकाश की प्रचुरता वाले एवं सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने वाले 80 से अधिक देशों के आईएसए से जुड़ने से इजराइल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई और हरित भविष्य के लिए समाधानों को बढ़ावा देने में योगदान दे सकेगा तथा इसका लाभ अर्जित कर सकेगा।’’
लापिद ने कहा कि आईएसए में इजराइल के शामिल होने से तेल अवीव संगठन को अपने ज्ञान एवं अनुभव के रूप में योगदान दे पाएगा।
इज़राइल के पूर्व प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तिगत निमंत्रण पर आईएसए के एक डिजिटल सम्मेलन में भाग लेते हुए कहा था कि उनका देश कार्बन और प्रदूषण में कमी लाने के प्रयासों में भारत का भागीदार है।
प्रदूषण पर नियंत्रण और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए आईएसए प्रधानमंत्री मोदी की पहल है जिससे लगभग 80 देश पहले ही जुड़ चुके हैं।
कोविड महामारी के बीच दोनों देशों के बीच यात्रा को आसान बनाने के लिए भारत और इज़राइल भी टीकाकरण प्रमाणपत्रों को पारस्परिक रूप से मान्यता देने पर सहमत हुए हैं।
लापिद ने कहा कि महामारी के दौरान भारत और इजराइल ने एक-दूसरे की मदद की तथा ‘‘मित्र एवं भागीदार ऐसा ही करते हैं।’’
जयशंकर ने यैद वाशेम का भी दौरा किया जहां उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में नरसंहार के दौरान मारे गए यहूदियों को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘यैद वाशेम में नरसंहार में मारे गए यहूदियों को श्रद्धांजलि दी। यह स्मारक बुराई से लड़ाई के हमारे संकल्प को मजबूत करता है।’’
इससे पहले, जयशंकर ने यरूशलम वन में ‘भूदान ग्रोव’ (भूदान उपवन) पट्टिका का अनावरण किया और इस प्रकार भारत-इजराइल के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित होने से पहले के समय में दोनों देशों के बीच रहे रिश्तों के अनजाने पहलुओं को छुआ।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘दिन की शुरुआत, सर्वोदय कार्यकर्ताओं द्वारा 1960 में रोपे गए भूदान ग्रोव की स्मृति से संबंधित पट्टिका के अनावरण से हुई।’’
रविवार को यहां अपनी पहली यात्रा पर पहुंचे जयशंकर इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बैनेट और राष्ट्रपति इसाक हर्जोग से भी मिलेंगे।
वह इज़राइल के प्रमुख शिक्षाविदों, व्यापारिक समुदाय के नेताओं और भारतीय यहूदी समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे।
जयशंकर भारत के लिए ऐतिहासिक महत्व के स्थानों का भी दौरा करेंगे, जो इस क्षेत्र में इसकी दीर्घकालिक उपस्थिति और क्षेत्र के इतिहास को आकार देने में निभाई गई रचनात्मक भूमिका को दिखाता है।
जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री मोदी की इज़राइल की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भारत और इज़राइल ने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक विस्तारित किया था।
विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के इजराइल रवाना होने से पहले एक बयान में कहा कि तब से, दोनों देशों ने ज्ञान-आधारित साझेदारी के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देने सहित नवाचार और अनुसंधान में सहयोग शामिल है।
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