एकल दस्तावेज आधारित वार्ता और महासभा के नियमों से ही आईजीएन को बचाया जा सकता है : भारत

By भाषा | Published: January 26, 2021 03:46 PM2021-01-26T15:46:34+5:302021-01-26T15:46:34+5:30

IGN can be saved only by single document based negotiations and General Assembly rules: India | एकल दस्तावेज आधारित वार्ता और महासभा के नियमों से ही आईजीएन को बचाया जा सकता है : भारत

एकल दस्तावेज आधारित वार्ता और महासभा के नियमों से ही आईजीएन को बचाया जा सकता है : भारत

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 26 जनवरी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता की मांग कर रहे भारत और जी-4 समूह के अन्य तीन सदस्यों ने जोर देकर कहा है कि यूएनएससी में सुधार के लिए अंतर-सरकार वार्ता (आईजीएन) के मौजूदा प्रारूप को तभी बचाया जा सकता है जब ‘एकल दस्तावेज आधारित वार्ता’ हो और प्रक्रिया में संयुक्त राष्ट्र महासभा के नियमों का अनुपालन किया जाए।

महासभा के 75वें सत्र में सुरक्षा परिषद में सुधार से जुड़ी आईजीएन की पहली बैठक सोमवार को हुई जिसमें भारत, ब्राजील, जर्मनी एवं जापान ने रेखांकित किया कि उक्त दोनों मापदंडों के बिना यह वह मंच नहीं रह पाएगा जहां काफी समय से लंबित बदलाव ‘‘वास्तव में मूर्त रूप’’ ले सकेंगे।

बैठक के दौरान जी-4 के सदस्य देशों ने कहा कि केवल दो चीजें आईजीएन प्रारूप को बचा सकती हैं- पहली एकल दस्तावेज (एक मसौदा) पर आधारित वार्ता जिसमें सदस्य देशों द्वारा पिछले 12 साल में अपनाए गए रुख प्रतिबिंबित हों और दूसरी-संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रक्रिया नियमावाली।

संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के स्थायी प्रतिनिधि क्रिस्टोफ ह्यूसजेन ने जी-4 सदस्य देशों की ओर से कहा, ‘‘अगर इन मानदंडों को इस साल प्राप्त नहीं किया जाता तो हमारे लिए आईजीएन अपना उद्देश्य खो देगा।’’

समूह ने रेखांकित किया अगर इस साल आईजीएन की चौथी बैठक से पहले एकल मसौदे पर चर्चा नहीं होती और महासभा की प्रक्रिया नियमावली लागू नहीं होती तो ‘‘औपचारिक प्रक्रिया के तहत बहस दोबारा महासभा में स्थानांतरित हो जाएगी’’ जो कि संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्य चाहते भी हैं।

ह्यूसजेन ने कहा,‘‘ हमारा पूरी तरह से मानना है कि बहस में ‘नई जान फूंकने’ के लिए हमें सही वार्ता शुरू करनी होगी और वार्ता एकल दस्तावेज (सिंगल टेक्स्ट) एवं महासभा की प्रकिया नियमावाली पर आधारित होनी चाहिए। जी-4 के तौर पर हम आपके साथ खुलकर, पारदर्शी तरीके से और परिणाम केंद्रित तरीके से काम करने को तैयार हैं।’’

उन्होंने कहा कि वार्ता के लिए एकल दस्तावेज आईजीएन की सह अध्यक्ष राजदूतों पोलैंड की जोआन्ना व्रोनेका और कतर की आल्या अहमद सैफ अल थानी द्वारा सदस्य देशों के साथ तीसरी बैठक के तुरंत बाद और चौथी बैठक से पहले साझा किया जाना चाहिए।

ह्यूसजेन ने कहा कि सभी पांचों समूहों को आईजीएन की पहली बैठक के दौरान चर्चा करनी चाहिए और वार्ता संबंधी दस्तावेज हर चरण के बाद अद्यतन किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इस एकल दस्तावेज में इस मुद्दे पर गत 12 साल में विभिन्न पक्षों के रुख शामिल होंगे। हम ऐसे दस्तावेज की मांग नहीं कर रहे हैं जिसमें केवल जी-4 समूह का रुख प्रतिबिंबित हो।’’

महासभा की प्रक्रिया नियमावली के अनुपालन के महत्व की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि सभी से वीटो शक्ति वापस लेने और बदलाव का अधिकार बहुमत को देने से ही प्रगति हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि भारत इसी महीने दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना है। वह कई वर्षों से 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए कोशिश कर रहा है। भारत का साफ तौर पर कहना है कि वह स्थायी सदस्यता की अर्हता रखता है और मौजूदा प्रतिनिधित्व 21वीं सदी की वास्तविक भू-राजनीतिक परिस्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करता।

आईजीएन की आमने-सामने की बैठक पिछले साल मई में कोविड-19 महामारी की वजह से स्थगित कर दी गई थी।

ह्यूसजेन ने सह अध्यक्षों से कहा, ‘‘ गेंद आपके पाले में है। आपके पास इस बार प्रगति करने का मौका है, सुधार की चाह रखने वाले सभी देशों के साथ काम कर वास्तव में ‘प्रगति’ लाने का मौका है।’’

जी-4 ने आईजीएन की प्रक्रिया, पिछले साल मार्च में जहां छूटी थी वहीं से शुरू करने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि आईजीएन का पांच चरण का पुराना रास्ता और प्रत्येक पांच में से एक समूह से बात करना मददगार साबित नहीं होगा।

जी-4 ने कहा, ‘‘ इसका मतलब गोल-गोल घूमना और तर्कों को दोहराना होगा जिन्हें हम अनगिनत बार सुन चुके हैं।’’

समूह ने कहा कि पीठ को कीमती समय नहीं गंवाना चाहिए।

इसने सुझाव दिया कि पिछले साल चर्चा के लिए सामने आए दो दस्तावेजों को मिलाकर चर्चा शुरू की जानी चाहिए।

समूह ने कहा, ‘‘ अन्यथा...आपकी तमाम कोशिशों के बावजूद... आप उस अभिशाप को दूर नहीं कर पाएंगे जो आईजीएन के साथ जुड़ा है। अगर हम फिर से आईजीएन के पांच सत्र को समूह स्तर की वार्ता के लिए समर्पित करेंगे तो फिर इसका अंत भी वही होगा जहां पर हम 2020 में खड़े थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसका अभिप्राय यह होगा कि हमें इस तथ्य का सामना करना पड़ेगा कि आईजीएन अब वह मंच नहीं रह गया है जिसमें सुरक्षा परिषद में सुधार मूर्त रूप ले सकें। अनेक साल से ये दोहराव बिना किसी आशंका के यह साबित करते हैं।’’

समूह ने जोर देकर कहा कि अगर कोई प्रतिनिधिमंडल यह कहता है कि मौजूदा व्यवस्था में आईजीएन ही ‘एक और एकमात्र’ मंच है जहां पर सुरक्षा परिषद में सुधार पर चर्चा हो सकती है तो यह प्रभावी तरीके से सुधार को होने से रोकना है जो संभवत: उनका इरादा भी हो सकता है।

इसने कहा कि जो मानते हैं कि आईजीएन प्रक्रिया सुरक्षा परिषद में ही हो सकती है तो वे गलत हैं। आईजीएन की स्थापना महासभा ने की है तथा महासभा कुछ और गठित करने का फैसला कर सकती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: IGN can be saved only by single document based negotiations and General Assembly rules: India

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे