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डोनाल्ड ट्रंप सरकार के एक आदेश के खिलाफ कोर्ट पहुंचे हार्वर्ड व MIT, विदेशी स्टूडेंट के वीजा का मामला

By अनुराग आनंद | Updated: July 8, 2020 20:40 IST

अमेरिका की ओर से कहा गया अमेरिका में जो मौजूदा बाहरी छात्र हैं और ऑनलाइन कोर्स ले रहे हैं, उन्हें तत्काल देश से बाहर चले जाना चाहिए।

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ठळक मुद्देडोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने साफ किया है कि विदेशी छात्रों के न सिर्फ वीजा केंसिल किए जाएंगे, बल्कि उन्हें डिपोर्ट भी किया जाएगा।अमेरिका ने भारत से कहा कि इस फैसले के कार्यान्वयन से संबंधित दिशा-निर्देश जारी होना अभी बाकी है।अमेरिकी ने कहा कि वे भारतीयों के हितों को ध्यान में रखेंगे और कोशिश करेंगे कि इस फैसले का भारतीय छात्रों पर कम प्रभाव पड़े।

वाशिंगटन: अमेरिका में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए कई सारे यूनिवर्सिटी व कॉलेज ने फिलहाल ऑफलाइन क्लास को टालने का फैसला लिया है। इस समय अमेरिका के अधिकांश शिक्षण संस्थानों ने ऑनलाइन ही पढ़ाने का फैसला लिया है। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने एक आदेश जारी कर कहा है कि संस्थानों के ऑनलाइन पढ़ाने के फैसले के बाद विदेशी छात्रों को अमेरिका छोड़कर अपने देश जाना होगा।

ट्रंप प्रशासन ने साफ किया है कि विदेशी छात्रों के न सिर्फ वीजा केंसिल किए जाएंगे बल्कि स्वेच्छा से नहीं जाने पर उन्हें डिपोर्ट भी किया जाएगा। इस मामले में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने डोनाल्ड ट्रंप सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

टीओआई की मानें तो दोनों संस्थानों ने संघीय अदालत से कहा है कि ट्रम्प प्रशासन के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को उन पाठ्यक्रमों में निर्वासित (डिपोर्ट) करने के आदेश को रोकना चाहिए जो कोरोना वायरस संकट के कारण ऑनलाइन हो जाएंगे।

भारत के विदेश सचिव ने इस संबंध में अमेरिका से बात की है-

बता दें कि भारत ने विदेशी छात्रों के वीजा से संबंधित मुद्दे पर मंगलवार को अमेरिका से बात की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।

दरअसल, अमेरिकी आव्रजन प्राधिकरण ने घोषणा की है कि उन विदेशी छात्रों को देश छोड़ना होगा या निर्वासित होने के खतरे का सामना करना होगा जिनके विश्वविद्यालय कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस सेमेस्टर पूर्ण रूप से ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेंगे। इस कदम से सैकड़ों-हजारों भारतीय छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। 

विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री डेविड हेल के साथ ऑनलाइन बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया।

सूत्रों ने कहा कि अमेरिकी पक्ष ने इसपर गौर करते हुए कहा कि वे भारतीयों के हितों को ध्यान में रखेंगे और कोशिश करेंगे कि इस फैसले का उनपर कम प्रभाव पड़े। अमेरिका ने भारत से यह भी कहा कि इस फैसले के कार्यान्वयन से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश जारी होने अभी बाकी है।

ऑनलाइन क्लास वाले विदेश छात्र चले जाएं अमेरिका से बाहर'

दरअसल, अमेरिका की ओर से कहा गया अमेरिका में जो मौजूदा बाहरी छात्र हैं और ऑनलाइन कोर्स ले रहे हैं, उन्हें तत्काल देश से बाहर चले जाना चाहिए। अमेरिका ने कहा है कि अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो छात्रों को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

आईसीई की ओर से कहा गया, टस्टेट डिपार्टमेंट उन छात्रों के लिए वीजा अब जारी नहीं जिनका नामांकन उस कोर्स/स्कूल में है जो पूरे सेमेस्टर के लिए ऑनलाइन कोर्स करा रहे हैं। साथ ही यूएस कस्टम और बॉर्डर प्रोटेक्शन भी ऐसे छात्रों के लिए कोई परमिट जारी नहीं करेगा।'

बता दें कि आईसीई के अनुसार F-1 के छात्र अकैडमिक कोर्सवर्क में शामिल होते हैं जबकि M-1 स्टूडेंट 'वोकेशनल कोर्सवर्क' करते हैं।

हालांकि, अमेरिका में ज्यादातर कॉलेज और यूनिवर्सिटी ने अभी अपने अगले सेमेस्टर के लिए किसी योजना की घोषणा नहीं की है।

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