पेरिस:नेपाल के बाद फ्रांस में युवा नाराज है। फ्रांस में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ झड़प की, सड़कें जाम कीं और पेरिस तथा अन्य शहरों में आगजनी की। इससे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा और बढ़ गया। हिंसा में लगभग 300 लोगों को गिरफ्तार किया गया। फ्रांस में प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की सरकार गिरने के एक दिन बाद राजधानी पेरिस और अन्य स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरुद्ध कर दीं, आगजनी की और पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले दागे।
गृह मंत्रालय ने राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के शुरुआती घंटों में लगभग 300 लोगों की गिरफ्तारी की घोषणा की। विरोध प्रदर्शन हालांकि ऑनलाइन शुरू हुआ था, लेकिन बाद में यह तीव्र होता गया और 80,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती को चुनौती देते हुए प्रदर्शनकारियों ने अवरोधकों को तोड़ दिया जिसके बाद पुलिस ने तेजी से गिरफ्तारियां कीं।
गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलेउ ने कहा कि पश्चिमी शहर रेन्नेस में एक बस में आग लगा दी गई और दक्षिण-पश्चिम में एक बिजली लाइन को नुकसान पहुंचने से रेलगाड़ियां बाधित हुईं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी “विद्रोह का माहौल” बनाने का प्रयास कर रहे हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मंगलवार देर रात रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था
। लगभग एक साल में देश को चौथी बार नया प्रधानमंत्री मिला है। ये विरोध प्रदर्शन अब तक मैक्रों के पहले और दूसरे कार्यकाल में छिटपुट रूप से हुए पिछले प्रदर्शनों की तुलना में कम तीव्र दिखाई दे रहे हैं। वर्ष 2022 में अपने पुनर्निर्वाचन के बाद, मैक्रों को पेंशन सुधारों को लेकर लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था।
सोमवार को फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू संसद में विश्वास मत हासिल करने में नाकाम रहे थे, जिसके बाद उनकी सरकार गिर गई थी। प्रदर्शनकारियों के समूहों ने सुबह पेरिस के बेल्टवे को अवरुद्ध करने की कोशिश की और पुलिस ने उन्हें तितर-बितर कर दिया।
राजधानी के अन्य हिस्सों में, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधिकारियों पर चीजें फेंकी। पेरिस पुलिस ने सुबह तक 159 गिरफ्तारियां दर्ज कीं। गृह मंत्रालय के अनुसार, फ्रांस में अन्य जगहों पर लगभग 100 अन्य लोगों को पुलिस हिरासत में लिया गया।
फ्रांस:नये प्रधानमंत्री लेकोर्नू को पहले ही दिन अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा
फ्रांस के नवनियुक्त प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को बुधवार को पूरे देश में जारी व्यापक विरोध-प्रदर्शनों के बीच पदभार ग्रहण करने के पहले ही दिन अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। लेकोर्नू पिछले एक साल में फ्रांस में प्रधानमंत्री पद संभालने वाले चौथे नेता हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में फ्रांस्वा बायरू की जगह ली है।
मंगलवार को बायरू सरकार के गिरने के एक दिन बाद राजधानी पेरिस और अन्य स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरुद्ध कर दीं और आगजनी की। प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। लेकोर्नू ने अपने मंत्रिमंडल का गठन करने से पहले सभी राजनीतिक ताकतों और ट्रेड यूनियनों के साथ परामर्श करने का वादा किया है।
हालांकि, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उनकी नियुक्ति को संदेह की नजरों से देख रहे हैं। इस बीच, पूरे फ्रांस में हजारों प्रदर्शनकारियों ने ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ के नारे के तहत मैक्रों की नीतियों के खिलाफ एक दिन के राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के तहत रैली निकाली। धुर वामपंथी दल फ्रांस अनबोएड ने बुधवार को घोषणा की कि अगर नयी सरकार अगले महीने संसदीय कार्य फिर से शुरू होने पर विश्वास मत पर मतदान नहीं कराती है, तो वह पूर्व रक्षा मंत्री लेकोर्नू के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश करेगी।
सोमवार को फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू संसद में विश्वास मत हासिल करने में नाकाम रहे थे, जिसके बाद उनकी सरकार गिर गई थी। इसके बाद, बुधवार को राजधानी पेरिस और अन्य स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरुद्ध कर दीं और आगजनी की। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े।
गृह मंत्रालय ने राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन के शुरुआती घंटों में लगभग 300 लोगों की गिरफ्तारी की घोषणा की। विरोध-प्रदर्शन हालांकि ऑनलाइन शुरू हुआ था, लेकिन बाद में यह तीव्र होता गया और 80,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती को चुनौती देते हुए प्रदर्शनकारियों ने अवरोधकों को तोड़ दिया, जिसके बाद पुलिस ने तेजी से गिरफ्तारियां कीं।
गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलेउ ने कहा कि पश्चिमी शहर रेन्नेस में एक बस में आग लगा दी गई और दक्षिण-पश्चिम में एक बिजली लाइन को नुकसान पहुंचने से रेलगाड़ियां बाधित हुईं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी “विद्रोह का माहौल” बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
ये विरोध-प्रदर्शन अब तक मैक्रों के पहले और दूसरे कार्यकाल में छिटपुट रूप से हुए पिछले प्रदर्शनों की तुलना में कम तीव्र दिखाई दे रहे हैं। वर्ष 2022 में अपने पुनर्निर्वाचन के बाद, मैक्रों को पेंशन सुधारों को लेकर लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था। मैक्रों के करीबी सहयोगी लेकोर्नु के सामने फ्रांस की बजट संबंधी कठिनाइयों को दूर करने की चुनौती है।