अमीर-गरीब देश का भेद मिटाकर कोविड-19 रोधी टीकों का वितरण नैतिक रूप से अपरिहार्य: रामाफोसा
By भाषा | Updated: May 26, 2021 08:42 IST2021-05-26T08:42:43+5:302021-05-26T08:42:43+5:30

अमीर-गरीब देश का भेद मिटाकर कोविड-19 रोधी टीकों का वितरण नैतिक रूप से अपरिहार्य: रामाफोसा
(फाकिर हसन)
जोहानिसबर्ग, 26 मई दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने सोमवार को विश्व स्वास्थ्य सभा में कहा कि कोविड-19 रोधी टीकों के वितरण में गरीब और अमीर देशों के बीच के भेद को खत्म करना नैतिक रूप से अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा, ‘‘सम्पन्न देशों में लाखों लोगों का टीकाकरण हो चुका है जबकि गरीब देशों में अरबों लोग टीके का इंतजार कर रहे हैं और उनके संक्रमित होने तथा उनकी जान जाने का खतरा बना हुआ है। इसमें सुधार लाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा।’’
रामाफोसा ने कहा, ‘‘यह केवल नैतिक रूप से ही आवश्यक नहीं बल्कि वैश्विक महामारी के खात्मे के लिए प्रभावी और समावेशी वैश्विक टीकाकरण बहुत जरूरी है। आप तब तक सुरक्षित रहने की उम्मीद नहीं कर सकते जब तक कि हम सभी सुरक्षित न हों। इसके लिए जरूरी है कि दुनियाभर के लोगों के बीच कोविड-19 के टीकों के बंदोबस्त को लेकर जो बड़ा अंतर है उसकी ओर हम तत्काल ध्यान दें।’’
उन्होंने कहा कि यह सभा ऐसे समय हो रही है जब हाल के इतिहास में बहुत ही कठिन दौर चल रहा है और इस वैश्विक महामारी ने सभी देशों को उनकी ताकत और कमजोरी से अवगत करवा दिया है।
टीकों पर बौद्धिक संपदा अधिकारों में छूट की मांग दोहराते हुए रामाफोसा ने कहा, ‘‘इस वैश्विक महामारी ने यह भी दिखा दिया है कि अपने स्वास्थ्य और बेहतरी के लिए हम एक दूसरे से किस हद तक जुड़े हैं और एक दूसरे पर कितना निर्भर हैं। इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य सभा में, मैं इस महामारी को खत्म करने, आगे किसी भी महामारी से बचने तथा स्वस्थ, सुरक्षित एवं निष्पक्ष विश्व के निर्माण का अनुरोध करता हूं।’’
रामाफोसा ने कहा कि निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों समेत दुनियाभर में टीकों का उत्पादन तत्काल प्रभाव से बढ़ाना होगा।
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