चीन के विरोधियों से दोस्ती बढ़ाने में जुटा भारत, वियतनाम को उपहार में देगा आधुनिक युद्धपोत
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: June 19, 2023 17:43 IST2023-06-19T17:41:27+5:302023-06-19T17:43:10+5:30
भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वियतनाम एक महत्वपूर्ण भागीदार है। इसके अलावा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वियतनाम भी चीन की दादागिरी का शिकार है। समंदर में चीन के बढ़ते दबदबे को देखते हुए भारत भी इस क्षेत्र में नए दोस्त और भागीदार बना रहा है।

आईएनएस किरपाण को वियतनाम को उपहार में देगा भारत
नई दिल्ली: वियतनाम के रक्षा मंत्री जनरल फान वान गैंग इस समय भारत दौरे पर हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में अपने वियतनामी समकक्ष से मुलाकात और बातचीत की। बैठक के दौरान विभिन्न द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पहलों की प्रगति की समीक्षा की गई। भारत और वियतनाम हिंद महासागर में आपसी सहयोग बढ़ाने और सुरक्षा चिंताओं का मिलकर मुकाबला करने पर भी सहमत हुए।
इस मुलाकात के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वदेशी रूप से निर्मित इन-सर्विस मिसाइल कार्वेट आईएनएस किरपाण को वियतनाम को उपहार में देने की घोषणा की। यह भारतीय युद्धपोत वियतनाम पीपुल्स नेवी की क्षमताओं को बढ़ाने में एक मील का पत्थर साबित होगा।
बैठक के बाद रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, "दोनों मंत्रियों ने सहयोग के मौजूदा क्षेत्रों को बढ़ाने के साधनों की पहचान की, विशेष रूप से रक्षा उद्योग सहयोग, समुद्री सुरक्षा और बहुराष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्र में।"
इसके अलावा, वियतनाम के रक्षा मंत्री ने अपने कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में डीआरडीओ मुख्यालय का दौरा किया और रक्षा अनुसंधान और संयुक्त उत्पादन में सहयोग से रक्षा औद्योगिक क्षमताओं को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
इससे पहले दिन में जनरल फान वान गैंग ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और शहीद नायकों को श्रद्धांजलि दी। वियतनाम के रक्षा मंत्री दो दिवसीय यात्रा पर रविवार को भारत पहुंचे हैं।
बता दें कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वियतनाम एक महत्वपूर्ण भागीदार है। इसके अलावा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वियतनाम भी चीन की दादागिरी का शिकार है। समंदर में चीन के बढ़ते दबदबे को देखते हुए भारत भी इस क्षेत्र में नए दोस्त और भागीदार बना रहा है। इसी क्रम में भारत जहां खुद के लिए नए और आधुनिक युद्धपोत और हथियार बना रहा है वहीं अपनी मित्र देशों को भारत में बने सैन्य साजो सामान भी मुहैया करा रहा है। भारतीय विदेश नीति में एक्ट ईस्ट पॉलिसी पीएम मोदी ने शुरू की थी। इसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा उपस्थिति दर्ज कराना और नए साझीदार बनाना है।