"कनाडा हमेशा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता...", खालिस्तान चरमपंथ के सवालों के जवाब में जस्टिन ट्रूडो ने कहा
By रुस्तम राणा | Updated: September 10, 2023 17:59 IST2023-09-10T17:58:50+5:302023-09-10T17:59:41+5:30
पीएम ट्रूडो ने खालिस्तान चरमपंथ पर सवालों के जवाब दिए और कहा, "कनाडा हमेशा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विवेक की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण विरोध की स्वतंत्रता की रक्षा करेगा

"कनाडा हमेशा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता...", खालिस्तान चरमपंथ के सवालों के जवाब में जस्टिन ट्रूडो ने कहा
नई दिल्ली:भारत के दिल्ली में आयोजित 18वें समूह 20 शिखर सम्मेलन (जी20 शिखर सम्मेलन) के मौके पर कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात की। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में भारत-कनाडा संबंधों के बारे में चर्चा की। जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन के बाद, पीएम ट्रूडो ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया, जहां उन्होंने खालिस्तान चरमपंथ पर सवालों के जवाब दिए और कहा, "कनाडा हमेशा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विवेक की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण विरोध की स्वतंत्रता की रक्षा करेगा और हमारे लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है।साथ ही हम हिंसा को रोकने और नफरत को पीछे धकेलने के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं।"
खालिस्तान उग्रवाद और "विदेशी हस्तक्षेप" पर पीएम ट्रूडो ने कहा, "मुझे लगता है कि समुदाय के मुद्दे पर, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कुछ लोगों की हरकतें पूरे समुदाय या कनाडा का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं। इसका दूसरा पहलू यह है कि हम कानून के शासन का सम्मान करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला और हमने विदेशी हस्तक्षेप के बारे में भी बात की..."
ट्रूडो ने कहा, "भारत दुनिया की एक असाधारण महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था है और कनाडा का एक महत्वपूर्ण भागीदार है।" ऐसा माना जा रहा है कि कनाडा के साथ भारत के रिश्ते ख़राब स्थिति में हैं। कनाडा में खालिस्तान समर्थक अलगाववादी समूहों की मौजूदगी को लेकर हाल के महीनों में तनाव बढ़ गया है। जी20 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले एक महत्वपूर्ण कदम में, कनाडा ने कथित तौर पर भारत के साथ चल रही मुक्त व्यापार वार्ता पर रोक लगाने का सुझाव दिया है।
दुनिया भर में भारत के दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों पर खालिस्तान समर्थक समूहों के हमलों के बाद भारत और कनाडा के राजनयिक संबंधों के लिए समस्याएं सामने आने लगीं। ये खालिस्तान समर्थक उपदेशक अमृतपाल सिंह की राष्ट्रव्यापी धरपकड़ के कारण शुरू हुए थे। ओटावा में भारतीय उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन को कनाडा में भारत के राजदूत ने "धमकी देने वाला" करार दिया था। इसके अलावा, इन प्रदर्शनों में स्मोक ग्रेनेड के इस्तेमाल की भी जांच की गई थी।