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यूक्रेन पर हमले को लेकर ब्रिटेन ने दी रूस को धमकी, दूसरी ओर पुतिन ने कहा- नाटो से बात करेंगे

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: February 15, 2022 22:32 IST

रूस के खिलाफ ब्रिटेन के इतने सशक्त तरीके से आगे आने के पीछे रूस द्वारा यूक्रेन की सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती और मिलिट्री के बढ़ते साजो-सामान को बड़ा कारण माना जा रहा है।

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ठळक मुद्देयूक्रेन संकट पर ब्रिटेन के अलावा यूएस और यूरोपियन यूनियन के कई देशों ने रूस को धमकी दी हैइन देशों ने यूक्रेन पर हमले की सूरत में गंभीर परिणामों के साथ आर्थिक प्रतिबंधों की भी बात की हैब्रिटेन ने कहा कि रूस ने अपने कदम पीछे नहीं खिंचे तो वह रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाएगा

दिल्ली: विश्व जगत इस समय यूक्रेन को लेकर रूस की आक्रमक नीतियों से बहुत भयभीत है। अमेरिका, ब्रिटेन समेत नाटों के सभी सदस्य देश इस मसले पर बारीक निगाह बनाये हुए हैं। इस मसले पर अब ब्रिटेन ने मोर्चा खोल दिया है। ब्रिटेन ने रूस को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर रूस ने अपने कदम पीछे नहीं खिंचे तो वह रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के विषय में गंभीरता से विचार करेगा। 

यूक्रेन संकट पर मंगलवार को ब्रिटेन ने कहा कि अगर यूक्रेन पर आक्रमण करने का प्रयास रूस द्वारा किया जाता है तो वह उसके लिए गंभीर भुगतने के लिए भी तैयार रहे। इसके साथ ही ब्रिटेन ने इस मसले पर कहा है कि रूस के व्यापक आक्रामक नीतियों के खिलाफ और विवाद बढ़ने की स्थिती में पश्चिमी मुल्कों को एकजुट होकर जवाब देना होगा।

दरअसल ब्रिटेन के इतने सशक्त तरीके से आगे आने के पीछे रूस द्वारा यूक्रेन की सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती और मिलिट्री के बढ़ते साजो-सामान को बड़ा कारण माना जा रहा है। वैसे यूक्रेन संकट पर ब्रिटेन के अलावा अमेरिका, यूरोपियन यूनियन सहित कई अन्य गठबंधन देशों ने रूस को यूक्रेन पर हमला की सूरत में गंभीर परिणाम भोगने की चेतावनी दी है और साथ ही आर्थिक प्रतिबंधों की भी धमकी दी है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस मामले में कहा, "यूक्रेन पर रूस द्वारा हमले किया गया तो रशियन बैंक और रशियन कंपनियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। हम स्पष्ट कर रहे हैं कि हमले की सूरत में हमारी ओर से निश्चित तौर से कदम उठाएंगे और वो ज्यादा ठोस और आक्रामक होंगे।"

ब्रिटिश पीएम ने इसके साथ यह भी कहा, "हम रशियन कंपनियों को लंदन के बाजार में धन अर्जित करने से भी रोक देंगे और यह काफी कठोर कदम होगा।"

वहीं दूसरी ओर मंगलवार को ही मास्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि मिसाइल तैनाती की सीमा और सैन्य पारदर्शिता के मुद्दे पर वो अमेरिका और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं। जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के साथ वार्ता के बाद पुतिन ने कहा कि अमेरिका और नाटो ने यूक्रेन तथा पूर्व सोवियत संघ में शामिल रहे देशों को नाटो के बाहर रखने की मांग, रूसी सीमाओं के पास हथियारों की तैनाती रोकने और पूर्व यूरोप से नाटो के सैनिकों को वापस बुलाने की रूस की मांग खारिज कर दी है।

हालांकि वे कई सुरक्षा उपायों पर चर्चा करने के लिए तैयार हुए, जिनका रूस ने पूर्व में प्रस्ताव किया था। पुतिन ने कहा कि यूरोप में मध्यम दूरी की मिसाइल की तैनाती की सीमाओं, सैन्य अभ्यास की पारदर्शिता और अन्य विश्वास बहाली उपायों पर वार्ता करने के लिए रूस तैयार है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पश्चिमी देशों को रूस की मुख्य चिंताओं को सुनने की जरूरत है।

रूसी रक्षा मंत्रालय द्वारा सैन्य अभ्यास से सैनिकों को आंशिक रूप से वापस बुलाये जाने की घोषणा के बाद यह बयान आया है। रूसी रक्षा मंत्रालय की इस घोषणा से यह उम्मीद जगी है कि मास्को यूक्रेन पर हमला करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ सकता है। रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण की किसी योजना से इनकार किया है।

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