बॉलीवुड सिनेमा एक चमकता सितारा है, जिसकी रोशनी से हर कोई रोशन होने को तैयार है, लेकिन ये रोशनी कहीं धुंधली सी पड़ती नजर आ रही है। हाल ही में पद्मावती के फिल्म के बैन हो जाने के बाद से कई तरह से विवाद सामने आ रहे हैं।
हर कोई फिल्म के बैन होने के आलोचना कर रहा है। ऐसा नहीं है कि भारत में पहली बार कोई फिल्म बैन हुई हो, इससे पहले कई बॉलीवुड फिल्मों पर रोक लग चुकी है। इस मामले में पाकिस्तान और चीन भी पीछे नहीं हैं। यहां भी कई बार अलग-अलग मुद्दों को उठाकर फिल्मों पर रोक लगाई है। वहीं, चीन जैसे कम्युनिस्ट देश में भारत की फिल्म दंगल को लोगों ने बहुत पसंद किया।
हाल ही में इन फिल्मों को घेरा विवादों नेपिछले कुछ समय से हम फिल्मों को लेकर कट्टर बनते जे रहे हैं। बीते साल करन जौहर की फिल्म ' ए दिल है मुश्किल' के प्रदर्शन पर लोगों को एतराज किया था। नवाज की फिल्म 'हरामखोर' पर भी हमें ऐतराज था क्योंकि उसमें एक छात्र और टीचर के रिश्ते दिखाए गए थे। बीते साल आई फिल्म उड़ता पंजाब पर खुद पंजाब सरकार ने रोक लगाने की मांग की थी। इस श्रेणी में हम 'लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का' को कैसे भूल सकते हैं। समलैंगिकता को लेकर बीजेपी का रुख स्पष्ट है इसलिए 'अलीगढ़' को लेकर सेंसर बोर्ड ने बहुत हल्ला मचाया था। ऐसे में अब 'पद्मावती' ने विधानसभा चुनाव में नया मुद्दा दे दिया। ये सब देखकर हमें डर लगना चाहिए कि कहीं हम फिल्मों के मामले में ही सही किसी दिन चीन और पाकिस्तान की तरह कट्टर ना बन जाए। अगर ऐसा होता है तो हम हर तरह की कला को समाप्त कर देंगे। भारत की ही तरह चीन और पाक भी ऐसे हैं जो अपने यहां फिल्मों पर रोक लगा चुके हैं।
चाइनाचीन का फिल्मी बाजार बॉलीवुड की तुलना में बड़ा और अलग भी है। फिर भी यहां की फिल्में असफलता का मुंह देख रही हैं।
2016 में हॉलीवुड फिल्म घोस्टबस्टर्स पर चीन ने लगाया बैन चीन ने 2016 में हॉलीवुड फिल्म घोस्टबस्टर्स पर रोक लगाई थी। उसने इस फिल्म को रिलीज करने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि इस फिल्म में भूत-प्रेतों के बारे में भी दिखा गया। इस तरह का अंधविश्वास चीन की नास्तिक कम्युनिस्ट सरकार की विचारधारा से मेल नहीं खाता है। इतना ही नहीं 2014 में आई नोआ भी मेनलैंड चीन में इसलिए बैन हुई क्योंकि बाइबल में वर्णित नोआ की कथा कहने वाली यह फिल्म जरूरत से ज्यादा धर्म की पैरवी करती थी और एक बार फिर से चीन की कम्युनिस्ट सरकार की विचारधारा को यह पसंद नहीं था।
ऑस्कर मिलने के बाद भी फिल्म को नहीं किया रिलीज निर्देशक आंगली की चीन ने उस समय खूब सरहाना की थी जब उन्हें 2005 में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का ऑस्कर पुरस्कार मिला, लेकिन फिर भी इस फिल्म को यहां पर्दे पर नहीं उतारा गया था। इसके पीछे का कारण ये बताया गया कि फिल्म के नायकों ने समलैंगिक रिश्तों का चित्रण किया था, जिससे चीन सरकार को परेशानी थी।
2017 में भी लगा बैन का तड़काइस साल जून में एक चीनी निर्देशक ने पैसों के पीछे भागते आधुनिक चीनी समाज की सच्चाई दिखाने वाली फिल्म ‘हैव अ नाइस डे’ को पेश किया था। जिसको चीन में ही नहीं बल्कि फ्रांस के एक फिल्म फेस्टिवल तक में बीजिंग ने खुद दखल देकर प्रदर्शित नहीं होने दिया गया।
पाकिस्तान पाक में जितनी बॉलीवुड की फिल्में देखी जाती हैं उतनी ही बैन भी की जाती हैं। वहीं, पाक में धार्मिक भावनाओं के आहत होने का हवाला देकर 'द विंसी कोड' व 'नोआ' जैसी हॉलीवुड फिल्में भी पर्दे पर नहीं आने दी गई हैं। हाल ही में पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने बहुत मुश्किलों के बाद माहिरा खान की फिल्म 'वरना' को पास किया था। इसको पर्दे पर इस कारण से नहीं आने दिया जा रहा था क्योंकि इसमें बलात्कार की क्रूरता को दिखाया गया था।
2016 में पाक में एक फिल्म रिलीज हुई थी जिसका नाम था 'मालिक'। इसे सेंसर बोर्ड से पास होने के बाद भी पाक सरकार ने करीब तीन हफ्ते तक बैन रखा था। इसके बैन के पीछे तालिबान से निपटने में नाकारा साबित होने वाली सरकार का फिल्म में किया गया चित्रण था। इसलिए पाकिस्तान के सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय ने फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट रद्द कर दिया था और देशभर में इसे देखने पर पाबंदी लगा दी थी। इतना ही नहीं पाक में अमंग द बिलीवर्स और बिसीज्ड इन क्वेटा को सेंसर बोर्ड ने ये कहते हुए बैन कर दिया था कि ये फिल्में पाकिस्तान की छवी को गलत तरह से पेश कर रही हैं।
ऐसे में अब हम कह सकते हैं कि कहीं ना कहीं भारत में फिल्मों को लेकर तुगलकी फरमान जारी किए जा रहे हैं, जो सिनेमा को आगे ले जाने की जगह पीछे ले जा रहे हैं।