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Bangladesh crisis: सेंट मार्टिन आइलैंड, अमेरिका की एयरबेस बनाने की चाहत और शेख हसीना का इनकार, ये कहानी बताएगी बांग्लादेश के मौजूदा हालात के पीछे का सच

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: August 6, 2024 16:15 IST

Bangladesh crisis: सेंट मार्टिन आइलैंड को अमेरिका को सौंपने के लिए शेख हसीना पर दबाव भी बनाया गया और लालच भी दिया गया। दबाव सरकार गिरा देने का और लालच सरकार बचा देने का। लेकिन हसीना नहीं मानीं।

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ठळक मुद्देआइलैंड को अमेरिका को सौंपने के लिए शेख हसीना पर दबाव भी बनाया गयादबाव सरकार गिरा देने का और लालच सरकार बचा देने काइसके बाद ही अमेरिका और बांग्लादेश में तनातनी शुरू हुई

Bangladesh crisis:बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अब देश छोड़ चुकीं  शेख हसीना ने  मई 2024 में एक भाषण दिया। इस भाषण में उन्होंने जो कुछ भी कहा वो गौर करने लायक है। शेख हसीना ने तब कहा था, "गोरी चमड़ी वाले एयरबेस, हवाई पट्टी मांग रहे हैं। दरअसल वो लोग बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ हिस्सों को काटकर एक ईसाई स्टेट बनाना चाह रहे हैं। वो इसमें कभी सफल नहीं होंगे।"

शेख हसीना के इस बयान में दो बातें छुपी थीं जिसे उन्होंने इशारों में ही कहना सही समझा। हसीना ने गोरी चमड़ी वालों का जिक्र किया, इससे उनका मतलब अमेरिकी अधिकारियों से था। उन्होंने एयरबेस का भी जिक्र किया। दरअसल हसीना एक छोटे से द्वीप सेंट मार्टिन आइलैंड की बात कर रही थीं। बांग्लादेश, शेख हसीना, अमेरिकी अधिकारी, एयरबेस की मांग और सेंट मार्टिन आइलैंड इन सारे कीवर्ड के कनेक्शन बांग्लादेश के मौजूदा हालात से जुड़े हैं।

अमेरिका लंबे समय से इस कोशिश में है कि दक्षिण एशिया की दो बड़ी ताकतों, भारत और चीन पर करीबी नजर रखने के लिए उसे किसी स्ट्रैटिजिक लोकेशन पर सैनिक अड्डा बनाने के लिए जमीन मिल जाए। चीन उसे अपने पास फटकने भी नहीं देता और भारत भाव देने के बावजूद मिलिट्री बेस बनाने के लिए जमीन देने को राजी नहीं है। ऐसे में अंकल सैम ने रुख किया बांग्लादेश का। सेंट मार्टिन आइलैंड पर बांग्लादेश का अधिकार है। लेकिन ये म्यांमार से सिर्फ 8 किमी की दूरी पर है तो वहां की आर्मी धौंस भी देती रहती है और अपने नक्शे में इसे दिखाकर बांग्लादेश को टेंशन भी देती रहती है। 

सेंट मार्टिन आइलैंड को अमेरिका को सौंपने के लिए शेख हसीना पर दबाव भी बनाया गया और लालच भी दिया गया। दबाव सरकार गिरा देने का और लालच सरकार बचा देने का। लेकिन हसीना नहीं मानीं। इसके बाद ही अमेरिका और बांग्लादेश में तनातनी शुरू हुई। थोड़ा खेल बांग्लादेश भी खेल ही रहा था। वह अमेरिका से दोस्ती की बात करता और चीन से जमकर निवेश ले रहा था। साथ ही भारत को भी अपने पाले में रखने के लिए जतन कर रहा था।

शेख हसीना अपने देश में कई बार ये बयान दे चुकी थीं कि विपक्षी पार्टी  BNP अमेरिका की कठपुतली है। साल 2021 में तो एक भाषण में उन्होंने साफ कहा था कि अगर BNP की सरकार बनती है तो वह सेंट मार्टिन आइलैंड को अमरीका को बेच देंगे।

जब यूएस को समझ में आ गया कि ऐसे काम नहीं बनेगा तो उसने ऊंगली टेढ़ी की। शेख हसीना जब चौथी बार पीएम बनीं तो इसके कुछ समय बाद अचानक एक कैंपेन चल पड़ा जिसमें हसीना को भारत की पपेट और एजेंट कहा गया। अमेरिका ने इसी समय दो उग्रवादी संगठनों, कुकी-चिन नेशनल फ्रन्ट (KNF) और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रन्ट ऑफ असोम (ULFA) से दोस्ती की। ध्यान रखियेगा कि ये भारत में सक्रिय हैं और कुकी-चिन नेशनल फ्रन्ट तो मणिपुर के मौजूदा हालात के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार। 

एक महीने पहले तक बांग्लादेश की सत्ता पर मजबूत पकड़ रखने वाली शेख हसीना अचानक से इतनी कमजोर हो गईं कि देश छोड़ के भागना पड़ा। जानकार कहते हैं कि अमेरिकी दबाव के आगे न झुकना उन्हें भारी पड़ा। अब बांग्लादेश का भविष्य क्या होगा ये आने वाला समय बताएगा। सेंट मार्टिन आइलैंड का क्या होगा ये भी समय ही तय करेगा। लेकिन इस तख्तापलट से भारत की चिंता जरूर बढ़ गई है। भारत अपने बगल में अमेरिकी बेस तो नहीं सह सकता। लेकिन भारत रूस की तरह अपने हित सुरक्षित करने के लिए सैन्य टकराव भी नहीं ले सकता। खेल खत्म नहीं शुरू हुआ है। कुर्सी की पेटी बांध लीजिए। दक्षिण एशिया में मौसम बिगड़ने वाला है।

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