पाकिस्तान के 11 वें राष्ट्रपति रह चुके आसिफ अली जरदारी को गिरफ्तार कर लिया गया है. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में इस्लामाबाद के घर से उनकी गिरफ्तारी हुई है. जरदारी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कंपनी में फेक बैंक अकाउंट के जरिये पैसा पहुंचाया है. इसमें उनकी बहन भी साझेदार हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जरदारी की कंपनी में 4.4 बिलियन रुपये का निवेश किया गया जिसमें 30 मिलियन रुपये को बेनामी अकाउंट से ट्रांसफर किया गया. आसिफ अली जरदारी की फेक अकाउंट को लेकर जांच 2015 से ही चल रही थी.
उनके खिलाफ यह फैसला इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने सुनाया है. जरदारी की टीम को इस फैसले को लेकर पहले से संदेह था इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है.
फर्जी बैंक खाता केस की जांच कर रहे एनएबी ने रविवार को दोनों के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया था. यह मामला धन रखने और धन को पाकिस्तान से बाहर भेजने के लिए कथित फर्जी बैंक खातों के इस्तेमाल से जुड़ा है. एनएबी के अधिकारियों के मुताबिक, दोनों ने कथित फर्जी बैंक खातों के जरिए 15 करोड़ रुपए का लेन देन किया है.
इसके पहले एक अन्य मामले में पाकिस्तान की एक अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को अवैध ठेके देने से जुड़े मामले में अंतरिम जमानत दे दी थी.
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) की एक खंड पीठ ने पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष को मंगलवार को 2,00,000 रुपए के मुचलके पर 13 जून तक जमानत प्रदान की थी.