(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, चार नवंबर थलसेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे तीन दिवसीय महत्वपूर्ण यात्रा पर बुधवार को नेपाल पहुंचे। उनकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के बाद तनावपूर्ण हुए द्विपक्षीय संबंधों में पुन: सामंजस्य स्थापित करना है।
जनरल नरवणे नेपाली सेना के प्रमुख जनरल पूर्ण चंद्र थापा के आमंत्रण पर नेपाल की यात्रा पर हैं।
उनके साथ उनकी पत्नी वीणा नरवणे भी हैं जो भारतीय सेना की ‘आर्मी वाइव्ज वेल्फेयर एसोसिएशन’ की अध्यक्ष हैं।
नरवणे के नेपाल पहुंचने पर त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल प्रभु राम ने उनकी अगवानी की।
नेपाली सेना के एक बयान में कहा गया, ‘‘नेपाल की सेना का मानना है कि इस तरह के उच्चस्तरीय दौरों तथा परंपरा के जारी रहने से दोनों सेनाओं और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलती है।’’
जनरल नरवणे ने नेपाल यात्रा से एक दिन पहले मंगलवार को कहा था कि उन्हें इस यात्रा का बेसब्री से इंतजार है। उन्होंने साथ ही विश्वास जताया कि यह यात्रा दोनों देशों की सेनाओं के बीच ‘‘मित्रता के बंधन’’ को और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
जनरल नरवणे की छह नवंबर तक चलने वाली नेपाल की तीन दिवसीय यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के बाद तनावपूर्ण हुए द्विपक्षीय संबंधों में पुन: सामंजस्य स्थापित करना है।
अधिकारियों ने कहा कि सेना प्रमुख का इस यात्रा के दौरान नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली से मुलाकात करने के अलावा कई अन्य असैन्य एवं सैन्य नेताओं के साथ बातचीत करने का कार्यक्रम है।
जनरल नरवणे ने कहा था, ‘‘मुझे यकीन है कि यह यात्रा दोनों देशों की सेनाओं के बीच दोस्ती के बंधन को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।’’
अधिकारियों ने बताया कि जनरल नरवणे की नेपाल यात्रा के कार्यक्रम में नेपाली सेना के मुख्यालय का दौरा, नेपाली सेना के स्टाफ कॉलेज में युवा सैन्य अधिकारियों को संबोधन और उनके सम्मान में नेपाली सेना प्रमुख द्वारा दिए जाने वाले रात्रिभोज में शिरकत करना शामिल है।
इस यात्रा में जनरल नरवणे को वर्षों पुरानी परंपरा के तहत बृहस्पतिवार को नेपाली राष्ट्रपति द्वारा ‘नेपाली सेना के जनरल’ का मानद पद प्रदान किया जाएगा। 1950 में इस परंपरा की शुरुआत हुई थी। भारत भी नेपाल के सेना प्रमुख को ‘भारतीय सेना के जनरल’ का मानद पद प्रदान करता है।
जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘मेरे लिए नेपाल की माननीय राष्ट्रपति द्वारा नेपाली सेना के जनरल की मानद रैंक से सम्मानित किया जाना बहुत सम्मान की बात है।’’
अधिकारियों ने कहा कि जनरल नरवणे इस समारोह के बाद राष्ट्रपति महल में राष्ट्रपति भंडारी से मुलाकात करेंगे। शुक्रवार को उनका प्रधानमंत्री ओली से भेंट करने का कार्यक्रम है।
प्रधानमंत्री ओली से जनरल नरवणे की होने वाली मुलाकात को इस लिहाज से अहम माना जा रहा है कि इससे दोनों देशों के बीच मानचित्र विवाद को पीछे छोड़ते हुए संबंधों में नए सिरे से सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है।
माई रिपब्लिका डॉट कॉम के अनुसार नरवणे की नेपाल यात्रा को सुरक्षा एवं विदेशी नीति विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण करार दिया है और कहा है कि यह दोनों पड़ोसियों के बीच एक और उच्चस्तरीय वार्ता के लिए सकारात्मक माहौल बनाकर भारत-नेपाल के संबंधों को पुन: पटरी पर लाने में मदद करेगी।
पूर्व राजदूत दिनेश भट्टारई और प्रधानमंत्री ओली के विदेश मामलों के सलाहकार राजन भट्टारई ने नरवणे की नेपाल यात्रा को दोनों देशों के बीच संबंधों को पुन: पटरी पर लाने वाली अत्यंत महत्वपूर्ण यात्रा बताया है।
अधिकारियों ने कहा कि जनरल नरवणे विभिन्न मुद्दों पर जनरल थापा से भी विस्तृत बातचीत करेंगे जिनमें सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाना तथा दोनों देशों के बीच करीब 1,800 किलोमीटर लंबी सीमा के प्रबंधन को मजबूत करना शामिल है।
नेपाल ने मई में एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी करते हुए उत्तराखंड के कई क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताया था जिसके बाद दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों में तनाव आ गया था। तब से दोनों देशों के बीच भारत की ओर से यह काठमांडू की पहली उच्चस्तरीय यात्रा होगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा आठ मई को उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनीतिक सड़क का उद्घाटन किए जाने के बाद नेपाल ने विरोध जताया था।
नेपाल ने दावा किया था कि सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है। कुछ दिनों बाद, उसने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र के तौर पर दिखाते हुए नया नक्शा जारी किया था। भारत ने भी नवंबर 2019 में एक नया नक्शा प्रकाशित किया था जिसमें इन क्षेत्रों को भारत के क्षेत्र के रूप में दिखाया गया था।
नेपाल द्वारा नक्शा जारी किए जाने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, इसे ‘‘एकतरफा कृत्य’’ बताया था और काठमांडू को आगाह करते हुए कहा था कि क्षेत्रीय दावों की ऐसी ‘‘कृत्रिम वृद्धि’’ उसे स्वीकार्य नहीं होगी।
जून में, नेपाल की संसद ने देश के नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी दी थी। भारत ने कहा था कि नेपाल का यह कदम दोनों देशों के बीच बातचीत के माध्यम से सीमा मुद्दों को हल करने के लिए बनी सहमति का उल्लंघन करता है।