नगोरनो-काराबाख को लेकर आर्मीनिया और अजरबैजान युद्धविराम पर हुए सहमत, मॉस्को में 10 घंटे चली बात
By विनीत कुमार | Published: October 10, 2020 07:56 AM2020-10-10T07:56:36+5:302020-10-10T07:56:36+5:30
आर्मीनिया और अजरबैजान पिछले कई दिनों से जारी संघर्ष के बाद आखिरकार संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं। दोनों की ओर से बयान जारी कर इस बारे में घोषणा की गई। मॉस्को में दोनों देशों के राजनयिकों के बीच बातचीत हुई।
नगोरनो-काराबाख क्षेत्र को लेकर जारी संघर्ष के बीच आर्मीनिया और अजरबैजान ने सीजफायर पर सहमति जताई है। ये सीजफायर शनिवार दोपहर से लागू होगा। दोनों देशों के शीर्ष राजनयिकों ने एक बयान जारी कर कहा कि युद्धविराम के तहत दोनों देश बंदियों सहित मृतकों के शव को को एक-दूसरे को लौटाएंगे। साथ ही कहा गया कि इस संधि को लेकर और विस्तृत विवरण बाद में साझा किया जाएगा।
यह घोषणा मॉस्को में दोनों देशों के राजनयिकों के बीच करीब 10 घंटे की वार्ता के बाद हुई। इसमें रूस के विदेश मंत्री सर्जी लावरोव ने भी अहम भूमिका निभाई। लावरोव ने कहा कि युद्धविराम से बातचीत का रास्ता खुलेगा और विवादित मुद्दों को निपटाया जा सकेगा।
Armenia & Azerbaijan agreed to a ceasefire starting on Saturday to exchange prisoners & bodies of those killed in the conflict between Azeri & ethnic Armenian forces over Nagorno-Karabakh region, Russian Foreign Minister Sergei Lavrov said: Reuters
— ANI (@ANI) October 10, 2020
बता दें कि दोनों देशों के बीच हालिया संघर्ष 27 सितंबर को शुरू हुआ था। 1994 में खत्म हुए युद्ध के बाद इस इलाके में ये सबसे गंभीर संघर्ष है। इसमें अब तक सैकड़ों लोगों की जान चली गई है। नगोरनो-काराबाख क्षेत्र को लेकर ये जंग शुरू हुई थी। ये क्षेत्र अजरबैजान के तहत आता है लेकिन इस पर स्थानीय आर्मीनियाई बलों का नियंत्रण है।
मौजूदा संघर्ष के तहत दोनों ही देशों ने उन शहरों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है जो संघर्ष वाले क्षेत्र से काफी दूर हैं। नगोरनो-काराबाख के अधिकारियों ने कहा कि अब तक इस संघर्ष में उनके पक्ष के करीब 300 से ज्चादा कर्मचारी मारे गए हैं। इसके अलावा 18 आम नागरिक मारे गए हैं जबकि 90 से अधिक घायल हैं।
ये युद्ध इसलिए भी खतरनाक साबित होती जा रही थी क्योंकि अन्य देशों के इसमें शामिल होने की आशंका बढ़ती जा रही थी। हाल में आर्मीनिया ने आरोप लगाया था कि तुर्की भी इस संघर्ष में अजरबैजान का साथ दे रहा है और सीरिया से अपने लड़ाकों को इस क्षेत्र में भेज रहा है। हालांकि, तुर्की ने ऐसे आरोपों को खारिज किया।