Afghanistan-Taliban crisis: 1000 अतिरिक्त सैनिक भेज रहा अमेरिका, अफगानिस्तान पर राष्ट्र को संबोधित करेंगे राष्ट्रपति जो बाइडन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 16, 2021 22:25 IST2021-08-16T22:24:12+5:302021-08-16T22:25:25+5:30
Afghanistan-Taliban crisis: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जान बचाने के लिए हजारों अफगान काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे।

तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हवाई अड्डे पर अफरा तफरी का माहौल है।
Afghanistan-Taliban crisis: काबुल हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए अमेरिकी सेना एक हजार सौनिकों की अतिरिक्त बटालियन भेज रही है। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बीच काबुल हवाई अड्डे पर अराजकता की स्थिति को काबू में लाने के लिए अमेरिकी सेना ने दो सशस्त्र लोगों को मार गिराया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के एक दिन बाद सोमवार दोपहर व्हाइट हाउस से राष्ट्र को संबंधित करेंगे। व्हाइट हाउस ने कहा कि बाइडन वाशिंगटन से कैंप डेविड राष्ट्रपति आवास पर लौटेंगे और सोमवार दोपहर ईस्ट रूम से बयान देंगे। अफगानिस्तान के हालत पर लगभग एक सप्ताह बाद बाइडन का यह पहला सार्वजनिक बयान होगा।
पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने सोमवार को संवादाताओं से कहा कि अतिरिक्त सैनिक भेजे जा रहे हैं जिनका लक्ष्य सुरक्षित तरीके से लोगों को बाहर निकालना है। एक अलग घटना में अमेरिका के एक उच्च सैन्य अधिकारी ने तालिबान के वरिष्ठ नेताओं से आमने-सामने की बातचीत की और हवाई अड्डे से लोगों को निकालने के काम में दखल न देने का आग्रह किया।
सुनिश्चित करना होगा, अफगानिस्तान कभी भी आतंकवाद का अड्डा न बने: अमेरिका
अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान ''कभी भी'' फिर से आतंकवाद का अड्डा न बने। अमेरिका ने अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों और उस क्षेत्र के अन्य देशों से देश से भागे अफगानिस्तानियों को शरण देने का भी आग्रह किया। राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर जाने के बाद तालिबान ने रविवार को काबुल पर कब्जा कर लिया।
इसके साथ ही दो दशक तक चला वह अभियान भी समाप्त हो गया, जिसमें अमेरिका और उसके सहयोगियों ने अफगानिस्तान को बदलने की कोशिश की थी। पश्चिमी देशों द्वारा प्रशिक्षित बलों का या तो पतन हो गया है या फिर वे लड़ाई छोड़कर भाग गए हैं। यह सबकुछ इस महीने के अंत में अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से पूरी तरह वापस लौटने से पहले हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड्स ने सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा, ''आज मैं फिर से जोर देकर यह बात कहती हूं और इस आह्वान को दोहराना चाहती हूं कि पत्रकारों और गैर-लड़ाकों सहित नागरिक आबादी को संरक्षित किया जाना चाहिए। नागरिकों या उनकी संपत्तियों पर हमले बंद होने चाहिए। सभी अफगान नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के मानवाधिकारों व मौलिक स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए।''
अफगानिस्तान मामले पर भारत की अध्यक्षता में सोमवार को आयोजित 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की बैठक में उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा, ''हम सभी पक्षों से आतंकवाद को रोकने का भी आह्वान करते हैं और हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान कभी भी आतंकवाद का अड्डा न बने।'' उन्होंने कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों, उस क्षेत्र के अन्य देशों और दुनिया के तमाम देशों से आग्रह करते हैं कि वे देश से भागे अफगानिस्तानियों को शरण प्रदान करें।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि गुलाम इसाकजई ने सोमवार को कहा कि ''आरोप-प्रत्यारोप के लिये समय नहीं है'' और शक्तिशाली सुरक्षा परिषद व संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को ऐसे किसी भी प्रशासन को मान्यता नहीं देनी चाहिये, जो ताकत के जरिये स्थापित किया गया हो। उन्होंने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान के हालात को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में यह बात कही। इसाकजई ने सुरक्षा परिषद से आग्रह किया कि वह एक सुर में यह बात कहे कि वह इस्लामी अमीरात के बहाल होने को मान्यता नहीं देगी।