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अफगानिस्तान सरकार और तालिबानः वार्ता के प्रयास तेज, भविष्य का रोडमैप तैयार होने की उम्मीद

By भाषा | Updated: September 3, 2020 15:31 IST

वार्ता में पहला एजेंडा संघर्ष विराम समझौता माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि फरवरी में अमेरिका और तालिबान ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसमें अफगानिस्तान के विभिन्न पक्षों के बीच वार्ता को लेकर सहमति बनी थी।

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ठळक मुद्देकतर में तालिबान के कार्यालय में होने वाली इस वार्ता में अफगानिस्तान के भविष्य का रोडमैप तैयार होने की उम्मीद की जा रही है। समझौते के साथ ही करीब 20 साल से युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से अमेरिका के बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया था। समझौते में तय हुआ था कि तालिबान अफगानिस्तान को आतंकवादी समूहों से मुक्त कराएगा।

काबुलः अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के अधिकारियों ने बातचीत की मेज पर आने के प्रयास तेज करने की बात कही है। दोनों पक्षों के बीच वार्ता अमेरिका-तालिबान शांति समझौते का एक मुश्किल पड़ाव होगा।

कतर में तालिबान के कार्यालय में होने वाली इस वार्ता में अफगानिस्तान के भविष्य का रोडमैप तैयार होने की उम्मीद की जा रही है। हालांकि वार्ता में पहला एजेंडा संघर्ष विराम समझौता माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि फरवरी में अमेरिका और तालिबान ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिसमें अफगानिस्तान के विभिन्न पक्षों के बीच वार्ता को लेकर सहमति बनी थी।

इस समझौते के साथ ही करीब 20 साल से युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से अमेरिका के बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया था। समझौते में तय हुआ था कि तालिबान अफगानिस्तान को आतंकवादी समूहों से मुक्त कराएगा।

सरकार और तालिबान ने आपसी सहमति से शेष कैदियों को रिहा करने पर सहमति जतायी

इस सप्ताह सरकार और तालिबान ने आपसी सहमति से शेष कैदियों को रिहा करने पर सहमति जतायी है, जिसके साथ ही दोनों पक्षों के बीच वार्ता शुरू होने में आ रही अंतिम बाधा भी खत्म हो गई। किसी भी पक्ष ने सार्वजनिक रूप से कैदियों की रिहाई के बारे में कुछ नहीं कहा है, लेकिन तालिबान और सरकार के अधिकारियों ने समाचार एजेंसी एपी से कहा है कि दोनों पक्षों ने समझौते के तहत रिहाई की प्रक्रिया पूरी कर ली है। अफगानिस्तान सरकार को तालिबान के 5,000 सदस्यों को रिहा करना था, जिसमें बहुत देरी हुई है, विशेषकर अंतिम 400 कैदियों की रिहाई को लेकर।

वहीं तालिबान को 1,000 सरकारी और सैन्य कर्मियों को रिहा करना था। राष्ट्रपति अशरफ गनी और सरकार की ओर से वार्ता की निगरानी कर रहे छाता संगठन राष्ट्रीय उच्चस्तरीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने साफ कर दिया है कि उनका शीर्ष एजेंडा हिंसा में कमी लाना या संघर्ष विराम है।

तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने इससे पहले समाचार एजेंसी एपी से कहा था कि वार्ता में सबसे पहले जिन मुद्दों पर बात की जाएगी, उनमें संघर्ष विराम भी शामिल होगा। तालिबान ने कथित रूप से अपना एजेंडा भी तैयार कर लिया है और उसकी 20 वार्ताकारों की एक टीम तालिबान प्रमुख मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा के सीधे संपर्क में है। 

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