"जज साहब मुझे बच्चा पैदा करना है, पति को जेल से छोड़ दें", महिला ने हाईकोर्ट में लगाई गुहार
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: November 2, 2023 13:57 IST2023-11-02T13:48:28+5:302023-11-02T13:57:09+5:30
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक महिला ने मां बनने के लिए याचिका दायर करके अपने सजायाफ्ता पति को जेल से रिहा करने की अपील की है।

फाइल फोटो
भोपाल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक महिला ने याचिका दायर कर अपने सजायाफ्ता पति को जेल से रिहा करने की अपील की है। महिला ने अपने याचिका के जरिये कोर्ट को बताया है कि वो मां बनने की इच्छा रखती है और इस इच्छा की पूर्ति के लिए उसके पति का सलाखों से आजाद होना बेहद जरूरी है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार महिला ने अपनी याचिका में कहा कि वह एक बच्चा पैदा करना चाहती है और प्रजनन को वह अपना 'मौलिक अधिकार' मानती है, इस कारण से उसके पति को छोड़ा जाना बेहद आवश्यक है।
हाईकोर्ट ने महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर में सरकार द्वारा संचालित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन की अगुवाई में पांच डॉक्टरों की एक टीम गठित करने का आदेश दिया, ताकि कोर्ट इस बात की जांच कर सके कि महिला याचिकाकर्ता गर्भधारण करने के लिए चिकित्सकीय रूप से फिट है या नहीं।
इस संबंध में सरकार के वकील सुबोध कथार ने कहा, "माननीय उच्च न्यायालय ने महिला द्वारा दायर की गई रिट याचिका पर 27 अक्टूबर को आदेश पारित किया है। याचिकाकर्ता का पति आपराधिक मामले में जेल में है और वह गर्भधारण करना चाहती है।"
वकील सुबोध कथार ने आगे कहा, "महिला ने इसके लिए नंद लाल बनाम राज्य, गृह विभाग के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय के हवाला देते हुए कोर्ट से कहा कि संतान पैदा करना उसका मौलिक अधिकार है और इसलिए उसके पति को जेल से रिहा किया जाना चाहिए।"
इसके साथ ही सरकारी वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता की अपील पर न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने सुनवाई की। हालांकि, महिला अपने रिकॉर्ड के अनुसार रजोनिवृत्ति की उम्र पार कर चुकी है। इस कारण से वह प्राकृतिक या कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से गर्भधारण नहीं कर सकती है। इस कारण से हाईकोर्ट ने एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम से मेडिकल रिपोर्ट बताए कि क्या याचिकाकर्ता गर्भधारण करने के लिए चिकित्सकीय रूप से फिट है या नहीं। इसके लिए याचिकाकर्ता को सात नवंबर को कॉलेज के डीन के सामने पेश होने का आदेश दिया गया है।
वकील सुबोध काथर ने कहा कि अदालत अब इस मामले में अगली सुनवाई मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद 22 नवंबर को करेगी।