55 की उम्र में 17वां बच्चा?, रेखा कालबेलिया फिर मां बनी, पलक झपकते ही पूरे गांव के लोग अस्पताल उमड़े

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 1, 2025 19:13 IST2025-09-01T19:12:49+5:302025-09-01T19:13:45+5:30

Udaipur: रिश्तेदार, पड़ोसी और उत्सुक ग्रामीण रेखा और नवजात की झलक पाने के लिए अस्पताल में उमड़ पड़े।

watch Udaipur Age 55 giving birth 17th child Rekha Kalbelia becomes mother again blink eye people whole village flock hospital see video | 55 की उम्र में 17वां बच्चा?, रेखा कालबेलिया फिर मां बनी, पलक झपकते ही पूरे गांव के लोग अस्पताल उमड़े

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Highlightsगरीबी, अशिक्षा और परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता की कमी का उदाहरण है।प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मौत तक हो सकती है।बाद में पता चला कि यह वास्तव में उसका 17वां प्रसव था।

Udaipur: जिस उम्र में ज्यादातर महिलाएं अपने पोते-पोतियों की देखभाल में व्यस्त रहती हैं उस उम्र में राजस्थान की एक महिला ने अपने 17वें नवजात शिशु को गोद में खिला रही है। राजस्थान के उदयपुर जिले के लीलावास गांव की 55 वर्षीय रेखा कालबेलिया फिर मां बनी हैं। झाड़ोल प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए इस प्रसव की खबर पलक झपकते ही पूरे गांव में फैल गई। रिश्तेदार, पड़ोसी और उत्सुक ग्रामीण रेखा और नवजात की झलक पाने के लिए अस्पताल में उमड़ पड़े। रेखा की शादी कबाड़ का काम करने वाले कवराराम कालबेलिया से हुई थी।

 

वह पिछले दशकों में 17 बार मां बन चुकी है। इनमें से पांच बच्चों चार लड़के और एक लड़की की जन्म के कुछ समय बाद ही मौत हो गई। अब इस दंपत्ति के 12 बच्चों में सात बेटे और पांच बेटियां हैं। कालबेलिया परिवार में तीन पीढ़ियां एक ही छत के नीचे रहती हैं। कवराराम ने कहा, ‘‘मेरे दो बेटे और तीन बेटियां शादीशुदा हैं। हर एक के दो-तीन बच्चे हैं।

यह बताते हुए उनकी आवाज में गर्व और दर्द दोनों झलक रहा था।’’ यानी रेखा अपने नवजात शिशु की देखभाल तो करती ही हैं, साथ ही वह कई बच्चों की दादी भी हैं। जीविकोपार्जन के सीमित संसाधन के साथ कवराराम कबाड़ बेचकर गुजारा करते हैं। वह स्वीकार करते हैं कि उन्हें अपने बच्चों की शादियों के लिए ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़ा था।

इस बड़े परिवार पर गरीबी के साये की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा,‘‘परिवार का कोई भी सदस्य कभी स्कूल नहीं गया।’’ झाड़ोल केंद्र के चिकित्सकों का कहना है कि रेखा की उम्र में प्रसव किसी चिकित्सकीय चुनौती से कम नहीं था। रेखा ने शुरू में उन्हें बताया था कि वह चौथी बार बच्चे को जन्म दे रही हैं।

झाड़ोल सरकारी अस्पताल के ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीएमएचओ डॉ. धर्मेंद्र ने कहा कि यह मामला आदिवासी बहुल इलाके की चुनौतियों को दर्शाता है जहां शिक्षा और जागरूकता की कमी से अक्सर ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक खानाबदोश परिवार है जो ज्यादा समय तक एक जगह टिककर नहीं रहता। उनके 11 बच्चे अभी हैं।

अगर ऐसे मामले सामने आते हैं तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिले और उनकी मदद के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएंगे।’’ प्रसव की देखरेख करने वाले स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रोशन दरांगी ने बताया कि भर्ती के दौरान परिवार ने शुरू में दावा किया था कि यह महिला का चौथा प्रसव था।

उन्होंने कहा,‘‘बाद में पता चला कि यह वास्तव में उसका 17वां प्रसव था। अब, उन्हें नसबंदी के लिए प्रेरित किया जाएगा।’’ अस्पताल के एक अन्य चिकित्सक डॉ. मुकेश गरासिया ने कहा कि महिला को 24 अगस्त को भर्ती कराया गया था। उन्होंने कहा कि महिला बिना किसी सोनोग्राफी रिपोर्ट या प्रसव पूर्व जांच के आई थी। उन्होंने कहा, ‘‘प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मौत तक हो सकती है।

कई बार प्रसव होने से गर्भाशय कमजोर हो जाता है और रक्तस्राव का खतरा बहुत अधिक होता है। लेकिन सौभाग्य से इस मामले में सब कुछ ठीक रहा।’’ कुछ ग्रामीणों के लिए रेखा की कहानी मजबूती की गाथा है तो दूसरों के लिए यह ग्रामीण राजस्थान में गरीबी, अशिक्षा और परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता की कमी का उदाहरण है।

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