अवमानना मामले में प्रशांत भूषण दोषी करार, रामचंद्र गुहा बोले- भारतीय लोकतंत्र का काला दिन, जानें किसने क्या कहा?
By पल्लवी कुमारी | Published: August 14, 2020 01:56 PM2020-08-14T13:56:50+5:302020-08-14T13:56:50+5:30
देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना मामले में दोषी करार दिया है। कोर्ट 20 अगस्त को प्रशांत भूषण की सजा पर सुनवाई करेगा।
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने एक्टिविस्ट अधिवक्ता (वकील) प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिये उन्हें शुक्रवार (14 अगस्त) को अवमानना का दोषी ठहराया है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा ने कहा कि इस अपराध के लिये प्रशांत भूषण को दी जाने वाली सजा के बारे में 20 अगस्त को बहस सुनी जायेगी। कोर्ट के फैसले के बाद सोसल मीडिया पर प्रशांत भूषण ट्रेंड में आ गए हैं। ट्विटर पर कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट कर लिखा है, इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट ने खुद को नीचा दिखाया है और गणतंत्र को भी नीचा दिखाया है। भारतीय लोकतंत्र के लिए ये एक काला दिन है।
Through this act, the Supreme Court has let itself down, and has let the Republic down too. A dark day for Indian democracy.https://t.co/owN10z95FG
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) August 14, 2020
ऑथर सबा नकवी ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है। सबा नकवी ने लिखा है, ये असंतोषजनक फैसला है।
What a disservice to justice #prashantbhushanhttps://t.co/nnbXMU9dW2
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) August 14, 2020
अभिजीत मजुमदार ने लिखा, आज, प्रशांत भूषण को काफी खुश होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उनके मूल्यों को बरकरार रखा है।
Today, #prashantbhushan must be a happy man. SC has upheld his values. pic.twitter.com/IWL7UB3WJo
— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) August 14, 2020
बीजेपी के सोशल मीडिया प्रभारी पुनित अग्रवाल ने SC के फैसले पर लिखा, वास्तव में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक अच्छा फैसला लिया गया है। प्रशांत भूषण और उनके पसंद को सबक सिखाने की जरूरत है। यह दंड सभी को यह जानने के लिए पर्याप्त गंभीर होना चाहिए कि वे कानून से ऊपर नहीं हैं।
Indeed a good judgement by the Hon’ SC. @pbhushan1 and his likes needs to learn a lesson. This punishment should be severe enough for all to know they are not above law. #prashantbhushanhttps://t.co/Ewi9Z78HVi
— Punit Agarwal (@Punitspeaks) August 14, 2020
फिल्ममेकर अशोक पंडित ने लिखा है, आज का दिन सफल हो गया।
Good News.
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) August 14, 2020
SC Holds terrorist supporter #PrashantBhushan Guilty Of Contempt For Tweets Against Judiciary.
Jai Ho.
आज का दिन सफल हो गया !
जानें प्रशांत भूषण और कंटेम्ट ऑफ कोर्ट का पूरा विवाद
न्यायालय की अवमानना कानून 1971 के तहत( कंटेम्ट ऑफ कोर्ट्स ऐक्ट ) दोषी व्यक्ति को छह महीने तक की साधारण कैद या दो हजार रूपए जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने पांच अगस्त को इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुये कहा था कि इस पर फैसला 14 अगस्त को सुनाया जायेगा।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उन दो ट्वीट का बचाव किया था, जिसमें कथित तौर पर अदालत की अवमानना की गई है। उन्होंने कहा था कि वे ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते। न्यायालय ने इस मामले में एक याचिका का संज्ञान लेते हुये प्रशांत भूषण के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही के लिये उन्हें 22 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
पीठ ने भूषण के ट्वीट का जिक्र करते हुये कहा था कि ये बयान पृथमदृष्टया जनता की नजरों में सुप्रींंम कोर्ट के संस्थान और विशेषकर प्रधान न्यायाधीश के पद की गरिमा को कमतर करने में सक्षम हैं।
प्रशांत भूषण ने 142 पन्नों के जवाब में अपने दो ट्वीट पर कायम रहते हुए कहा था कि विचारों की अभिव्यक्ति, ‘हालांकि मुखर, असहमत या कुछ लोगों के प्रति असंगत’ होने की वजह से अदालत की अवमानना नहीं हो सकती। उन्होंने यह भी दलील दी थी कि नागरिकों को जवाबदेही और सुधार की मांग करने से और इसके लिये जनमत तैयार करने से रोकना ‘तर्कसंगत प्रतिबंध’ नहीं है। उन्होने यह भी कहा था कि तर्कसंगत आलोचना का गला घोंटने के लिये संविधान के अनुच्छेद 129 का इस्तेमाल नही किया जा सकता है।