नागरिकता संशोधन विधेयक -2019 को आज (11 दिसंबर) राज्यसभा में पेश किया गया है। राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा करते हुए शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, 'आज देश के कई हिस्से में बिल का विरोध हो रहा है। वह भी देश के नागरिक हैं। हमें किसी से देशभक्ति का प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं हैं, हम कितने कठोर हिंदू हैं, उसका प्रमाण पत्र भी हमें नहीं चाहिए, क्योंकि जिस स्कूल में आप (बीजेपी) पढ़ते हैं, वहां के हम हेडमास्टर हैं। बाला साहेब हमारे हेडमास्टर थे। अटल जी भी थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी थे।' राज्यसभा में चर्चा के बाद जैसे ही संजय राउत ने इस बयान को अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है। लोगों ने कमेंट कर उनको ट्रोल करना शुरू किया।
एक यूजर ने लिखा, फिलहाल आप जहां पढ़ा रहे हैं,वो स्कूल मोदीजी संचालित कर रहे हैं। एक यूजर ने सलाह दी कि शिवसेना को अब मदरसा खोल लेना चाहिए।
एक यूजर ने लिखा, आप तो सिर्फ सोनिया को मानते हैं। एक यूजर ने लिखा, जन्नत की हकीकत तो हमें भी मालूम है।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने राज्यसभा में यह भी कहा कि लोकतंत्र में अलग आवाजें होती हैं। ये कहा जा रहा है कि जो इस बिल के साथ नहीं है वो देशद्रोही है, जो साथ है वही देशभक्त है। आप लोगों को बता दूं कि ये पाकिस्तान की असेंबली नहीं है, अगर पाकिस्तान की भाषा पसंद नहीं है तो पाकिस्तान को खत्म कर दो, हम आपके साथ हैं।
वहीं, राज्यसभा में बीजेपी ने इस बिल पर चर्चा के दौरान जगत प्रकाश नड्डा ने कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह पर लाया गया है। जगत प्रकाश नड्डा ने विपक्ष को राजनीतिक हितों के बजाय राष्ट्र के हित साधने की नसीहत दी और दावा किया कि तथा इससे पूर्वोत्तर की 'सांस्कृतिक पहचान' को कोई खतरा नहीं पहुंचेगा।
नागरिकता संशोधन बिल है क्या?
नागरिकता संशोधन बिल के तहत पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। नागरिकता संशोधन बिल सोमवार (9 दिसंबर) को लोकसभा में पेश हुआ और विधेयक के पक्ष में 311 मत, जबकि विरोध में 80 मत पड़े।