गुजरात में बन रही 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' में चीनी सामान के इस्तेमाल को लेकर चर्चा में है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही इसे मेड इन चाइना कहकर नरेंद्र मोदी और उनके 'मेक इन इंडिया' कैंपेन को घेरा। 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' यानी भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर (597 फीट) ऊंची प्रतिमा।
31 अक्टूबर 2013 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था। आगामी 31 अक्टूबर 2018 को वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करने वाले हैं। पांच साल में तैयार की गई इस मूर्ति की लागात सरकार ने 3,001 करोड़ रुपये रखी थी। बाद में इसे तैयार करने को लेकर लगाई गई बोली में मुंबई की कंपनी लारसन एंड टर्बो (एलएंडटी) ने 2,989 करोड़ रुपये में इसे तैयार कर देने का ठेका लिया था।
लेकिन इसमें चीन कब और ऐसे कैसे घुस गया, क्यों सोशल मीडिया में यह जंग छिड़ी?
यह सवाल निराधार नहीं हैं। गुजरात के भरुच जिले में स्थित सरदार सरोवर बांध से 3.2 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के किनारे स्थित टापू साधू बेट पर बन रहे इस स्मारक का कुछ हिस्सा चीनी है।
मेड इन चाइना स्टैचू ऑफ यूनिटी का वायरल सच
1. दी टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक एल एंड टी ने साल 2015 में एक आधिकारिक दस्तावेज में बताया था कि पूरे प्रोजेक्ट करीब 9 फीसदी काम में चीन की मदद ली जाएगी।
2. एंड एंड टी ने स्टैचू ऑफ यूनिटी को समय पर पूरा करने के लिए चीन के संसाधनों का प्रयोग किया है। स्टैचू ऑफ यूनिटी में इस्तेमाल होने वाला कांसा चीन से मंगाया गया है।
3. चीन के शहर नैनचांग स्थित जियांग्जी टोक्वाइन कंपनी की फैक्टरी टीक्यू आर्ट फाउंड्री में सरदार पटेल की प्रतिमा में लगने वाले कांसे को तैयार किया गया है।
4. दी इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक सरदार बल्लभ भाई पटेले राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट के अधिकारियों ने बताया- पूर्व गुजरात सीएम आनंदी बेन पटेल ने चीन एक विशेष वाहन भेजा था। इसमें सरदार पटेल की प्रतिमा में इस्तेमाल करने वाला हिस्सा चीन से लाया गया था।
5. ट्रस्ट के अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि चीन की फैक्ट्री से 25,000 से ज्यादा कांसे के टुकड़ा भारत लाया गया है।
6. दी इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के सुपरिंटेंडिंग इंजिनियर आरजी कानूनगो कहा, कई बेस्ट मैटेरियल चीन से मंगाए गए हैं।
7. चीन में तैयार किए गए हिस्से को भारतीय मजदूर उसके असल स्वरूप देने में सक्षम होंगे अथवा नहीं, इस संदेह में भारी संख्या में चीनी मजदूरों को भारत बुलाना पड़ा।
8. बाद में समय पर काम पूरा करने में होने वाली परेशानी और चीनी मजदूरों द्वारा जल्दी काम निपाटने की बात सामने आई। इस काम में 2500 से ज्यादा मजदूर जुटे हैं। इनमें काफी संख्या में चीन के मजदूर भी शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि उद्घाटन के साथ ही यह विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति हो जाएगी। इससे पहले 152 मीटर ऊंची चीन की स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध सबसे ऊंची इमारतों अथवा प्रतिमा में शुमार है।