ट्विटर पर हैशटैग #भाजपा_की_उलटी_गिनती_शुरू टॉप ट्रेंड में है। इस हैशटैग के साथ सबसे ज्यादा 17 दिसंबर की विदेशी अखबारों की हेडलाइन शेयर की जा रही है। जिसमें नागरिकता कानून (CAA) को लेकर जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में हुए विरोध प्रदर्शन को लेकर खबरें छपी हैं। विदेशी अखबारों में न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉल स्ट्रीट और वाशिंगटन पोस्ट ने जामिया में हुए CAA विरोध को 17 दिसंबर को फ्रंट पेज पर जगह दी थी। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी शीर्षक में लिखा था- ''मोदी के 'हिंदू' विजन' पर जोर देने की वजह से भारत में भड़के विरोध प्रदर्शन''( India Erupts in Protests as Modi Presses vision For Hindu). इस अखबार के स्क्रीनशॉट को कई ट्विटर यूजर ने शेयर कर लिखा है कि मोदी सरकार भारत की छवि को नुकसान पहुंचा रही है।
पत्रकार और कॉलमनिस्ट स्वाति चतुर्वेदी ने ट्वीट कर लिखा, ''क्या फर्क पड़ता है? हमारे विदेश मंत्री जयशंकर कहते हैं कि उन्हें विदेशी पत्र क्या लिखता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मोदी सरकार के पास पोपइंडिया और पन्ना प्रमुख हैं।''
देखें लोगों की प्रतिक्रिया
वहीं कुछ यूजर ऐसे भी है, जो इसे झारखंड विधानसभा चुनाव भी जोड़कर देख रहे हैं।
जानें जामिया हिंसा के बारे में...
दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के पास हुई हिंसा में कथित तौर पर शामिल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने मंगलवार को बताया कि आरोपियों को सोमवार की रात गिरफ्तार किया गया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक गिरफ्तार किए गए लोगों में कोई भी छात्र नहीं है। विश्वविद्यालय रविवार को उस वक्त जंग के मैदान में तब्दील हो गया था जब पुलिस परिसर में घुस आई थी और वहां बल प्रयोग किया था। दरअसल, संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा और आगजनी हुई थी जिसमें चार डीटीसी बसों, 100 निजी वाहनों और 10 पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया जिसके बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की।
क्या है नागरिकता कानून
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह एक कानून बन गया है। एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया है। इस कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी।