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Bihar News: बिहार देश का पहला राज्य, तीन ट्रांसजेंडर दरोगा बने, बिहार में 1275 सब इंस्पेक्टर बहाल

By एस पी सिन्हा | Updated: July 10, 2024 14:44 IST

India's First Transgender Manvi Madhu Kashyap Sub Inspector In Bihar: भारत में केरल एकमात्र ऐसा राज्य रहा है जहां ट्रांसजेंडर के तौर पर एक सिपाही को सरकारी सेवा में नौकरी करने का मौका मिल सका है।

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ठळक मुद्देभारत में किसी भी राज्य में कोई ट्रांसजेंडर दरोगा नहीं है। बिहार में जो तीन ट्रांसजेंडर दरोगा बने हैं, उनमें भागलपुर की मधु कश्यप का नाम भी शामिल है। मधु कश्यप मूल रूप से ट्रांसजेंडर वूमेन हैं।

पटनाः बिहार में 1275 दारोगा बहाल किए गए हैं, जिसमें से तीन ट्रांसजेंडर हैं। इससे बिहार देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां तीन ट्रांसजेंडर दारोगा के रूप में नियुक्त किए गए हैं। इसके पहले भारत में केरल एकमात्र ऐसा राज्य रहा है जहां ट्रांसजेंडर के तौर पर एक सिपाही को सरकारी सेवा में नौकरी करने का मौका मिल सका है। भारत में किसी भी राज्य में कोई ट्रांसजेंडर दरोगा नहीं है। बिहार में जो तीन ट्रांसजेंडर दरोगा बने हैं, उनमें भागलपुर की मधु कश्यप का नाम भी शामिल है। मधु कश्यप मूल रूप से ट्रांसजेंडर वूमेन हैं। सामाजिक स्तर पर कई तरह की प्रताड़ना झेलने वाली मधु 2014 में घर छोड़कर भाग निकली थी। मधु ने बताया कि मेरी वजह से परिवार वालों को तमाम तरह की उलाहना भरी बातें सुनने को मिलती थी तो मन विचलित हो जाता था।

जब अंत में कोई चारा नहीं बचा तब घर छोड़कर भाग निकली। मधु ने मैट्रिक इंटर और पॉलिटिकल साइंस के साथ बीए ऑनर्स की पढ़ाई की है। ट्रांसजेंडरों के प्रति समाज में गलत रवैया को देख मधु के मन में कुछ करने की प्रेरणा मिली और इसी प्रेरणा के साथ वह 2022 में पटना चली आई। पटना आने के बाद उनका संघर्ष जारी रहा कई कोचिंग संस्थानों में मधु गई।

लेकिन, सभी ने भी नामांकन करने से इनकार कर दिया। मधु बस और बस केवल दरोगा बनने की लालसा लेकर पटना पहुंची थी, अंत में उन्हें गुरु रहमान मिले। गुरु रहमान ने उनका हौसला बढ़ाया और उनके साथ-साथ दो अन्य ट्रांसजेंडर को भी दारोगा की परीक्षा पास करने में मदद की। मधु अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरु रहमान को देती हैं।

उनका कहना है कि ट्रांसजेंडर का जीवन आसान नहीं होता, लेकिन इन सभी लोगों ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। मधु बताती हैं कि 5 से 6 घंटे तक नियमित पढ़ाई करती थी। उनके पिता इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मन की साहस ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में काफी मदद की। मधु मानती हैं कि दरोगा बनने के बाद वह ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए ढेर सारा काम करेंगी।

उन्होंने सामाजिक स्तर पर ट्रांसजेंडरों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने पर जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर भी ईश्वर की ही देन है और उन्हें अलग से देखने की जरूरत नहीं है। उनकी यह सफलता कई अन्य ट्रांसजेंडर के लिए प्रेरणा बन सकती है, जो समाज में अपने अधिकारों और सम्मान के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

टॅग्स :बिहारपटना
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