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केरल के इस मंदिर में पूजा के लिए पुरुषों को पहनना होता है औरतों के कपड़े, जानिए पूरा किस्सा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: March 28, 2023 18:13 IST

केरल के कोल्लम जिले में स्थित श्री कोत्तानकुलांगरा देवी मंदिर में कोई भी पुरुष तभी मां की पूजा कर सकते हैं, जब वो नर के रूप में नहीं बल्कि नारी के वेष में मंदिर में प्रवेश करें।

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ठळक मुद्देकेरल के एक मंदिर में ऐसा त्योहार मनाया जाता है, जहां पुरुष महिलाओ का परिधान धारण करते हैंकोल्लम जिले के श्री कोत्तानकुलांगरा देवी मंदिर में यह प्रथा सदियों पुरानी हैनर तभी मां की पूजा कर सकते हैं, जब वो नारी का वेष धारण करके मंदिर में प्रवेश करें

तिरुअनंतपुरम:केरल में इस वक्त एक ऐसा त्योहार मनाया जा रहा है, जिसमें पुरुषों को महिलाओ का परिधान धारण करना पड़ता है। मान्यता के अनुसार कोल्लम जिले के केरल के इस मंदिर में प्रवेश पाने के लिए मर्दों को महिला बनना पड़ता है। जी हां, केरल के कोल्लम जिले में स्थित श्री कोत्तानकुलांगरा देवी मंदिर में कोई भी पुरुष तभी मां की पूजा कर सकते हैं, जब वो नर के रूप में नहीं बल्कि नारी के वेष में मंदिर में प्रवेश करें।

इसके लिए मां के मंदिर में विशेष रूप से चमायाविलक्कू उत्सव मनाया जाता है। चमायाविलक्कू उत्सव के दौरान मंदिर में हजारों की संख्या में पुरुष पहुंचते हैं, जो महिलाओं की तरह सज-संवर कर मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं।

इतना ही नहीं मंदिर में स्त्री वेष में आने वाले पुरुषों के बीच सौंदर्य प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। भारतीय रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी अनंत रुपानागुंडी ने इस संबंध में एक ट्वीट करके मंदिर के सौंदर्य प्रतियोगिता के बारे में दिलचस्प जानकारी साझा करते हुए सौंदर्य प्रतियोगिता में विजयी पुरुष की तस्वीर साझा की है।

रेलवे अधिकारी अनंत रुपानागुंडी ने ट्वीट के कैप्शन में लिखा है, "केरल में कोल्लम जिले के कोट्टमकुलकारा में देवी मंदिर में एक परंपरा है, जिसे चमायाविलक्कू उत्सव कहा जाता है। यह त्यौहार पुरुषों द्वारा मनाया जाता है जो महिलाओं के रूप में तैयार होते हैं। साझा की गई तस्वीर उस व्यक्ति का है, जिसने सौंदर्य प्रतियोगिता में श्रृंगार के लिए प्रथम पुरस्कार जीता है।"

बताया जा रहा है कि दो दिनों तक चलने वाले चमायाविलक्कू उत्सव में हर साल बड़ी संख्या में भक्त मां के दर्शन करते हैं। मंदिर की ओर से आयोजित इस सौंदर्य प्रतियोगिता का संचालन थिरुविथमकुर देवास्वोम बोर्ड करता है, जो मंदिर का भी संचालन करता है।

मंदिर के पुजारी का कहना है कि यहां पर मां की पहली पूजा ग्वालों के एक समूह द्वारा की जाती है, जो महिलाओं के वस्त्र धारण करके मां की पूजा करते हैं। चमायाविलक्कू उत्सव मलयालम महीने मीनम की दसवीं और ग्यारहवीं तारीख को मनाया जाता है।

टॅग्स :केरलतिरुवनंतपुरमकोल्लमTemple
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