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लॉकडाउन की ये तस्वीर देख सोशल मीडिया पर फूटा लोगों का गुस्सा, कांग्रेस बोली- 'मोदी जी इन्हीं को जहाज में बिठाने का सपना बेचा था ना'

By पल्लवी कुमारी | Updated: May 12, 2020 14:46 IST

कोरोनो वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारत में लगाया गया 25 मार्च से जारी 54 दिन का लॉकडाउन 17 मई को समाप्त होने वाला है। देश में कोरोना मरीजों की संख्या 70 हजार के पार चली गई है।

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ठळक मुद्देरेलवे ने कहा है कि वह हर रोज श्रमिकों के लिए 100 ट्रेनें चला रही है। पैदल चल रहे सैकड़ों मजदूरों का कहना है कि उन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही है विशेष ट्रेन के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

नई दिल्ली:  कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते देशभर में लगे लॉकडाउन की वजह से लाखों प्रवासी मजदूर पैदल चलने को मजबूर हो गए हैं। देश भर से कई तस्वीरें सामने आई हैं, जो उनकी मजबूरी को दिखाती हैं। हालांकि लॉकडाउन के तीसरे चरण में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने श्रमिकों के लिए स्पेशल ट्रेंने चलाई हैं लेकिन फिर भी कई मजदूर अपने घर पहुंचने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। इसी जद्दोजहद की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई है, जिसे देख ट्विटर पर लोगों ने गुस्सा जाहिर किया है। 

वायरल तस्वीर में एक पिता अपने छोटे बच्चे का एक हाथ पकड़कर ट्रक के ऊपर चढ़ाने की कोशिश कर रहा है। तस्वीर काफी डरावनी और दिल दहला देने वाली है। इसका वीडियो भी सामने आया है। शख्स ट्रक पर चढ़कर एक रस्सी के सहारे अपने छोटे बच्चे को चढ़ाने की कोशिश में दिख रहा है। यह तस्वीर काफी खतरनाक लगी क्योंकि बच्चे के साथ-साथ पिता को भी गिरने का डर है। ट्रकों पर महिलाएं भी साड़ी पहनकर चढ़ते नजर आ रही हैं। बताया जा रहा है कि ये वायरल तस्वीर रायपुर की है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी इस तस्वीर को शेयर कर लिखा है, ''मोदी जी, इन्हीं को जहाज में बिठाने का सपना बेचा था ना!''

मजदूरों की हालात बयां करने वाली कुछ और तस्वीरों को पोस्ट कर रणदीप सिंह सुरजेवाला ने लिखा, मोदी जी, इन चप्पल वाले भारतीय श्रमिक भाईयों के लिए ‘वंदे भारत’ क्यों नहीं? आपकी संवेदनहीनता से करोड़ों श्रमिक असहाय महसूस कर रहे हैं! आज 8 बजे तो इनके बारे बताइए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस तस्वीर को शेयर कर मोदी सरकार की आलोचना की है।

वहीं ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा है, अमीर का कुत्ता भी वंदे भारत मिशन के तहत सुरक्षित वापस लाया गया और वहीं गरीब का बच्चा जिंदगी और मौत के बीच में झूल रहा है। क्या मजदूर होना इतना बड़ा गुनाह है? क्या साहब अमीरों के हाथों की कठपुतली बन गए हैं?

एक अन्य यूजर ने भी ऐसा ही दावा किया है।

एक यूजर ने लिखा है, पीएम मोदी इन मजदूरों के लिए कुछ तो कीजिए।

पैदल चल रहे या किसी तरह से इंतजाम कर घर जा रहे सैकड़ों मजदूरों का कहना है कि इसी महीने के शुरुआत में चलाए गए विशेष ट्रेन के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी मजदूरों का काम बंद हो गया था। बेरोजगार हुए प्रवासियों ने मार्च से ही बड़े शहरों को छोड़ पैदल चल अपने घर जाना शुरू कर दिया था। 

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