गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल: 100 साल पुरानी मस्जिद गुलजार, माडी गांव में एक भी मुस्लिम नहीं, पांचों वक्त होता है अजान, जानें क्यों है चर्चा में

By एस पी सिन्हा | Updated: May 16, 2022 17:33 IST2022-05-16T17:31:43+5:302022-05-16T17:33:17+5:30

बिहार में नालंदा जिले के बेन प्रखंड के माडी गांव है. आगरा के ताजमहल मॉडल पर बनी यह म‍स्जिद आज चकाचक है. यह 100 साल पुरानी मस्जिद बताई जा रही है.

bihar Ganga-Jamuni tehzeeb 100 year old mosque Hindu village madi azaan every five times nalanda ben tajmahal | गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल: 100 साल पुरानी मस्जिद गुलजार, माडी गांव में एक भी मुस्लिम नहीं, पांचों वक्त होता है अजान, जानें क्यों है चर्चा में

शुभ काम के पहले यहां स्थित मजार पर मत्‍था टेका जाता है. शादी-विवाह हो या कोई अन्‍य खुशी का मौका, यहां के हिंदू पहले इस मस्जिद का दर्शन करते हैं. (प्रतिकात्मक फोटो)

Highlightsमस्जिद से 5 वक्त की अजान होती है और मस्जिद को रोजाना धोया जाता है.गांव के हिन्दूओं को अजान नहीं आता तो वह टेप रिकार्डर से, पेन ड्राइव से या फिर मोबाइल पर अजान की रिकार्डिंग चलाते हैं.वीरान पड़ी इस मस्जिद को आबाद गांव का हिन्दू समुदाय द्वारा किया गया है.

पटनाः देश में जारी मंदिर-मस्जिद विवादों के बीच बिहार का एक गांव उदाहरण गंगा-जमुनी तहजीब का मिशाल बनकर खड़ा है. सूबे के नालंदा जिले के बेन प्रखंड के माडी गांव में एक भी मुस्लिम नहीं है, लेकिन वहां एक मस्जिद है और वहां हर दिन पांचों वक्त की अजान भी होती है.

आगरा के ताजमहल मॉडल पर बनी यह म‍स्जिद आज चकाचक है. यह 100 साल पुरानी मस्जिद बताई जा रही है. मस्जिद से 5 वक्त की अजान होती है और मस्जिद को रोजाना धोया जाता है. बताया जाता है कि गांव के हिन्दूओं को अजान नहीं आता तो वह टेप रिकार्डर से, पेन ड्राइव से या फिर मोबाइल पर अजान की रिकार्डिंग चलाते हैं.

वीरान पड़ी इस मस्जिद को आबाद गांव का हिन्दू समुदाय द्वारा किया गया है. मस्जिद के रंग-रोगन व साफ-सफाई की जिम्‍मेदारी उठाने वाले गौतम महतो व अजय पासवान बताते हैं कि इस मस्जिद से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है. कोई भी शुभ काम के पहले यहां स्थित मजार पर मत्‍था टेका जाता है. शादी-विवाह हो या कोई अन्‍य खुशी का मौका, यहां के हिंदू पहले इस मस्जिद का दर्शन करते हैं.

सदियों से चली आ रही इस परंपरा को यहां के लोग पूरी आस्‍था के साथ कायम रखे हुए हैं. बताया जाता है कि यहां रहने वाले मुसलमानों ने 100 साल पहले इस मस्जिद को बनवाई थी. लेकिन 1947 के बंटवारे में कुछ पाकिस्तान चले गए तो कुछ रोजी- रोजगार के चक्कर में शहरों को पलायन कर गए. मस्जिद वीरान हो गई थी, तब हिन्दूओं ने मंदिर के साथ-साथ मस्जिद को आबाद किया.

वहीं, मस्जिद के बाहर स्थित मजार की भी कहानी है. गांव के लोग बताते हैं कि वहां पहले अगलगी की घटना होती थी. बाढ़ भी आती रहती थी. करीब पांच-छह सौ साल पहले एक मुसलमान फकीर हजरत इस्माइल गांव आए थे. इसके बाद गांव में कभी कोई तबाही नहीं आई. उनके निधन के बाद ग्रामीणों ने उन्‍हें मस्जिद के पास ही दफना दिया. ग्रामीणों की इस मजार से गहरी आस्‍था जुड़ी है. 

जानकारों का कहना है कि करीब सौ साल पुरानी यह मस्जिद जिस गांव में है, उसकी प्राचीनता नालंदा विश्वविद्यालय के दौर तक जाती है. माना जाता है कि वहां नालंदा विश्वविद्यालय की मंडी यहां लगती थी, इसलिए गांव का नाम मंडी था. यही बाद में अपभ्रंश होकर माडी हो गया. वर्तमान में गांव में पांच सौ घर हैं. बताया जाता है कि गांव के गौतम प्रसाद, बखरी जमादार एवं अजय पासवान इस मस्जिद की परंपरा को बचाने में लगे रहते हैं.

Web Title: bihar Ganga-Jamuni tehzeeb 100 year old mosque Hindu village madi azaan every five times nalanda ben tajmahal

ज़रा हटके से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे