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बिहार: सुशील मोदी और प्रशांत किशोर के बीच सोशल मीडिया पर जुबानी जंग, जानें किशोर ने मोदी का पुराना वीडियो शेयर कर क्या कहा?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 25, 2020 11:12 IST

डिप्टी सीएम सुशील मोदी के एक ट्वीट के जवाब में जेडीयू नेता प्रशांत किसोर ने ट्वीट कर लिखा कि लोगों को चरित्र प्रमाण पत्र देने में सुशील कुमार मोदी का कोई जोड़ नहीं है. इसके साथ ही उन्होने लिखा कि देखिए पहले बोल कर बता रहे थे और अब डिप्टी सीएम बना दिए गए तो लिख कर दे रहे हैं  इनकी क्रोनोलॉजी भी बिल्कुल क्लीयर है! 

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ठळक मुद्देसुशील मोदी ने नीतीश के लिए लिखा कि उन्होंने किसी को अपनी कुर्सी दी, कितनों को राज्यसभा का सदस्य बनवाया, उन्हीं लोगों ने उनके खिलाफ काम किया। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) को लेकर जदयू के राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा के बयानों को निजी बताते हुए कड़ी नसीहत दे दी है

बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि नीतीश कुमार जी के साथ यह विडम्बना अक्सर होती है कि अपनी उदारतावश वे जिनको फर्श से उठाकर अर्श पर बैठाते हैं, वे ही उनके लिए मुसीबत बनने लगते हैं. इसके अलावा सुशील मोदी ने नीतीश के लिए लिखा कि उन्होंने किसी को अपनी कुर्सी दी, कितनों को राज्यसभा का सदस्य बनवाया, किसी को गैरराजनीतिक गलियों से उठाकर संगठन में ऊँचा ओहदा दे दिया लेकिन वही लोग उन्हें धोखा देते हैं.

इसके बाद जवाब में जेडीयू नेता प्रशांत किसोर ने ट्वीट कर लिखा कि लोगों को चरित्र प्रमाण पत्र देने में सुशील कुमार मोदी का कोई जोड़ नहीं है. इसके साथ ही उन्होने लिखा कि देखिए पहले बोल कर बता रहे थे और अब डिप्टी सीएम बना दिए गए तो लिख कर दे रहे हैं  इनकी क्रोनोलॉजी भी बिल्कुल क्लीयर है!

 इसके पहले नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) को लेकर जदयू के राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा के बयानों को निजी बताते हुए कड़ी नसीहत दे दी है. उन्होंने स्प्ष्ट तौर पर कहा है कि उन्हें जहां जाना हो, वहां जाएं, उनको हमारी शुभकामनाएं हैं. नीतीश कुमार ने कड़े शब्दों में कहा कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी को लेकर पार्टी का स्टैंड स्पष्ट है. साथ ही उन्होंने प्रशांत किशोर को भी नसीहत दी है. 

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सीएए और एनआरसी को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा के दिये गये बयानों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को आड़े हांथ लेते हुए नसीहत भी दी है. 

मुख्यमंत्री ने कहा कि ''ये उनका वक्तव्य पार्टी का वक्तव्य नहीं है. वे विद्वान व्यक्ति हैं, मैं उनकी इज्जत करता हूं, भले ही वो हमलोगों की इज्जत ना करें. ये उनका अपना निर्णय है, जहां जाना हो वहां वे जाएं, हमको इस पर कोई ऐतराज नहीं है. जनता दल यूनाईटेड को अच्छी तरह समझने की कोशिश कीजिए. कुछ लोगों के बयान से जनता दल यूनाईटेड को मत देखिए. जनता दल यूनाईटेड, जनता के साथ काम करती है. हमलोगों का स्टैंड साफ होता है. किसी तरह का कन्फ्यूजन नहीं होता है. अगर किसी के मन में कोई बात है, तो विमर्श करना चाहिए. जरूरी समझें, तो पार्टी की बैठक में बातचीत करनी चाहिए और इस तरह का वक्ततव्य देने का कोई मतलब नहीं है. मुझे फिर भी उनके प्रति सम्मान है और इज्जत का भाव है. उन्हें जहां अच्छा लगे, वहां जाएं, मेरी शुभकामना है.'' 

नीतीश कुमार ने पार्टी विरोधी बयान देने वालों पवन वर्मा और प्रशांत किशोर पर सख्ती दिखाते हुए स्‍पष्ट कर दिया है कि बिहार में भाजपा और जदयू के गठबंधन पर किसी के कुछ कहने-सुनने का कोई असर नहीं होनेवाला है. किसी भी नेता का पार्टी से बिना विचार-विमर्श किए किसी तरह का बयान देना गलत है. 

वहीं, नीतीश कुमार के इस बयान पर पवन वर्मा ने जवाब दिया है और उन्होंने साफ-साफ कहा है कि जब तक उनके पत्र में उठाए सवालों का नीतीश कुमार की तरफ से जवाब नहीं दिया जाएगा तब तक वो कोई निर्णय नहीं लेने जा रहे हैं. पवन वर्मा ने कहा है कि मुझे खुशी है कि नीतीश कुमार ने कम से कम इस मामले का संज्ञान लिया. मैंने पहले भी लिखा था, लेकिन मुझे जवाब नहीं मिला. यह उनके लिए पार्टी की विचारधारा को स्पष्ट करने का समय है. जदयू अल्पकालिक राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एडहॉक निर्णय नहीं ले सकता है. जब तक मुझे अपने पत्र का जवाब नहीं मिल जाता, मैं यह तय नहीं कर सकता कि आगे क्या करना है.

यहां बता दें कि जदयू के राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा ने सीएए और एनआरसी को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने कहा था कि 'मैं अकेले में आपकी स्वीकारोक्ति को याद कर रहा हूं कि भाजपा में वर्तमान नेतृत्व ने किस तरह से आपका अपमान किया. आपने कई बार कहा कि भाजपा देश को खतरनाक स्थिति में ले जा रही है.' 

सोशल मीडिया पर साझा किये गये इस पत्र में उन्होंने कहा है कि, 'आपने जैसा मुझे बताया, ये आपके निजी विचार थे कि भाजपा संस्थानों को नष्ट कर रही है और देश के अंदर लोकतांत्रिक एवं सामाजिक ताकतों को पुनर्गठित करने की जरूरत है और इस कार्य के लिए आपने पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी को नियुक्त किया है.' 

पवन वर्मा ने पार्टी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया था कि वे इन मुद्दों पर पार्टी का रुख स्पष्ट करें. पवन वर्मा ने पत्र लिखकर कहा था कि 2017 में नीतीश कुमार ने उन्हें बताया था कि भाजपा-मोदी किस तरह लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म कर रहे हैं, लेकिन अब वही नीतीश उसी भाजपा के साथ दिल्ली में गठबंधन कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि इस डबल स्टैंडर्ड की वजह से ही पार्टी के कई विधायक साथ छोड़ रहे हैं. पार्टी में ही कुछ ऐसे विचार हैं जो कि नीतीश कुमार के साथ नहीं मेल खा रहे हैं और ऐसे मुद्दों को लेकर गुस्सा बढता जा रहा है.

उधर, सीएए और एनआरसी के खिलाफ लगातार आवाज उठाने वाले जदयू नेता प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर गृह मंत्री अमित शाह चुनौती देते हुए कहा कि अगर आप सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध करने वालों की परवाह नहीं कर रहे हैं तो फिर क्यों नहीं आगे बढ़ जाते हैं और इसे लागू करने की कोशिश करते हैं? आप सीएए और एनआरसी को उसी क्रोनोलॉजी में लागू करने का प्रयास करें, जो आपने राष्ट्र के लिए इतनी बडी घोषणा की है!' 

ऐसे में जदयू ने पहले ही पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी तथा पार्टी के फैसले की सार्वजनिक आलोचना करने को लेकर इन दोनों नेताओं, पवन वर्मा और प्रशांत किशोर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने का संकेत दिया है. अब लगता है कि पार्टी दोनों को बाहर का रास्‍ता भी दिखा सकती है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी इसपर नाराजगी जताई थी.

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