गृह मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आज लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल-2019 (Citizenship Amendment Bill (CAB) पेश करने वाले हैं। इसके लिए अमित शाह लोकसभा पहुंच चुके हैं। अमित शाह के लोकसभा पहुंचते ही ट्विटर पर हैशटैग #IndiaRejectsCAB ट्रेंड करने लगा है। इस ट्रेंड के साथ लोग नागरिकता संशोधन बिल पेश ना करने के पक्ष में ट्वीट कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ये बिल पेश करने से संविधान का अपमान होगा। वहीं कुछ यूजर ऐसे भी हैं, जो इस हैशटैग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बात की अपील कर रहे हैं कि वह नागरिकता संशोधन बिल संसद में पेश ना होने दें। केंद्रीय कैबिनेट में इस विधेयक को मंजूरी मिल गई है। लेकिन संसद में पेश होने के पहले ही इस बिल को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार सवालों के घेरे में आ गई है।
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि नागरिकता संशोधन बिल-2019 हमारे महान संविधान के अनुच्छेद 21 और 14 का उल्लंघन है।
वहीं एक यूजर ने इसे संविधान की हत्या करार दिया है।
नागरिकता संशोधन बिल-2019 पेश ना करने की पीएम मोदी से लोग कर रहे हैं अपील।
नागरिकता संशोधन बिल है क्या? (what is Citizenship Amendment Bill (CAB)
नागरिकता संशोधन बिल के तहत पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। बता दें कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान इसी साल 8 जनवरी को यह लोकसभा में पारित हो चुका है।
नागरिकता संशोधन बिल का पूर्वोत्तर में ही क्यों होता है ज्यादा विरोध
नागरिकता संशोधन विधेयक पूरे देश में लागू किया जाएगा। लेकिन इस विधेयक का ज्यादातर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों जैसे, मेघालय, मणिपुर, असम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में विरोध होता रहा है, क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश की सीमा से सटे हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लोग का कहना है कि पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुसलमान अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए नियमों में ढील देती है। मेघालय, मणिपुर, असम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम जैसे राज्य के लोगों की समस्या है कि यहां बांग्लादेश से मुसलमान और हिंदू दोनों ही बड़ी संख्या में अवैध तरीके से आकर बस जाते हैं।