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उत्पन्ना एकादशी 2020 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

By प्रतीक्षा कुकरेती | Updated: December 9, 2020 08:53 IST

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हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहते हैं. यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं.  इस व्रत को सभी दुखों का अंत करने वाला कहा गया है. एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.

इससे सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है.हिन्दू धर्म में उत्पन्ना एकादशी व्रत कहा महत्व बहुत ज्यादा माना गया है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है.  इस वर्ष यह तिथि 11 दिसंबर को पड़ रही है.  मान्यता है कि जो व्यक्ति यह व्रत करता है उस पर विष्णु जी की कृपा बनी रहती है. आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा. 

उत्पन्ना एकादशी तिथिइस बार उत्पन्ना एकादशी 11 दिसंबर, शुक्रवार को है. जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है उस पर भगवान विष्णु की असीम कृपा सदैव बनी रहती है.

उत्पन्ना एकादशी तिथि व मुहूर्तसुबह पूजन मुहूर्त – सुबह 5:15 बजे से सुबह 6:05 बजे तक (11 दिसंबर 2020)संध्या पूजन मुहूर्त – शाम 5:43 बजे से शाम 7:03 बजे तक (11 दिसंबर 2020)पारण – सुबह 6:58 बजे से सुबह 7:02 मिनट तक (12 दिसंबर 2020)

उत्पन्ना एकादशी पूजा विधिएकादशी के दिन प्रात: काल उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर फिर व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत कथा सुनें. एकादशी के दिन किसी व्यक्ति को बुरे वचन ना बोलें. इस एकादशी की रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करना चाहिए. शाम को भगवान विष्णु की पूजा करें और अपनी गलतियों की माफी मांगे. दीप दान दें. द्वादशी के दिन गरीब या ब्राह्मण को दान दें और शुभ मुहूर्त में पारण करें.  

 

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