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पैरालाइज्ड होने के कारण बचपन में लोग मारते थे ताना, नहीं मिला काम तो खेल में बनाया करियर

By सुमित राय | Published: July 27, 2018 05:36 PM2018-07-27T17:36:40+5:302018-07-27T17:36:40+5:30

कहते हैं कि अगर दिल में चाहत हो तो इंसान कोई भी मुकाम हासिल कर सकता हैं। हां, हो ...

कहते हैं कि अगर दिल में चाहत हो तो इंसान कोई भी मुकाम हासिल कर सकता हैं। हां, हो सकता है कि इसके लिए कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़े, कोई आपकी मदद ना करे, लोग आपकी हंसी उड़ाएं और तरह-तरह के ज्ञान दें। ऐसा ही कुछ हुआ पैरा एथलीट नारायण ठाकुर के साथ। पैरा एथलीट नारायण ठाकुर बचपन से ही हाफ पैरालाइज्ड हैं, लेकिन उन्होंने अपनी इस कमी को कभी भी सफलता में रुकावट नहीं बनने दी। नारायण ने हाल ही में पैरा नेशनल एथलेटिक्स में 100 और 200 मीटर की रेस जीती है और अब एशियन पैरा गेम्स की तैयारी कर रहे हैं। बचपन से हाफ पैरालाइज्ड होने और 13 साल की उम्र में पिता को खोने के बाद नारायण ने परिवार की मदद के लिए कई तरह के काम करने की कोशिश की, लेकिन पैरालाइज्ड होने के कारण काम भी मुश्किल से मिला। लोकमत न्यूज हिंदी से बात करते हुए नारायण ने जीवन की जीत से लेकर मैदान की जीत तक के हर पर्दे को उठाया।

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