एशियाई खेलों में हिस्सा लेकर मेडल जीतने के बाद उनकी जिंदगी वापस पुराने ढर्रे पर लौट आई है और वह परिवार के गुजारे के लिए चाय की टपरी में पिता के साथ चाय बेंच रहे हैं। हरीश कुमार ने कहा, 'मेरा परिवार बहुत बड़ा है और कमाई करने के साधन सीमित हैं। परिवार को सहारा देने के लिए मैं चाय की दुकान में अपने पिता के साथ काम करता हूं और 2 बजे से 6 बजे तक चार घंटे खेल की प्रैक्टिस भी करता हूं। भविष्य में परिवार के बेहतर भविष्य के लिए अच्छी नौकरी करना चाहता हूं।'