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निराला की कविता 'बाँधो न नाव इस ठाँव बन्धु!' | हिन्दी कविता | Hindi Kavita |Basant Panchami

By गुणातीत ओझा | Published: February 16, 2021 04:55 PM2021-02-16T16:55:40+5:302021-02-16T16:57:03+5:30

आज हिन्दुओं का महत्वपूर्म पर्व बसंत पंचमी पूरे देश में उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन के महत्व का खाका खींचते बड़े-बुजुर्ग की कई कहानियां याद आती हैं। आज ही के दिन सरस्वती पूजा भी होती है। सरस्वती पूजा की बात हो और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जिक्र न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। निराला का जन्मदिन भी बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के दिन ही मनाया जाता है। लोगों ने मान लिया है कि किसी और दिन उनका जन्म हो ही नहीं सकता था। निराला सरस्वती साधक थे। खड़ी-बोली हिंदी में सरस्वती पर जितनी कविताएं निराला ने लिखी हैं किसी और कवि ने नहीं। आइये आपको सुनाते हैं निराला के कविता की कुछ पंक्तियां जो आज भी लोगों की जुबान पर अक्सर आ जाती है...

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