Sant Baba Ram Singh suicide: Kisan Andolan के हक में संत बाबा राम सिंह ने खुद को मार ली गोली
By गुणातीत ओझा | Published: December 16, 2020 09:55 PM2020-12-16T21:55:09+5:302020-12-16T21:57:13+5:30
किसान आंदोलन में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर (सिंघु बार्डर) पर धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह ने बुधवार को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। गोली लगने से उनकी मौत हो गई है।
किसान आंदोलन
संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारकर की आत्महत्या
किसान आंदोलन में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर (सिंघु बार्डर) पर धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह ने बुधवार को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। गोली लगने से उनकी मौत हो गई है। घायल अवस्था में उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बाबा राम सिंह करनाल के रहने वाले थे। उनका एक सुइसाइड नोट भी मिला है। सुसाइड नोट में उन्होंने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए उनके हक के लिए आवाज बुलंद की है। बाबा राम सिंह के सेवादार गुरमीत सिंह ने भी घटना की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि बाबा राम सिंह के हरियाणा और पंजाब में ही नहीं, दुनियाभर में लाखों की संख्या में अनुयायी हैं।
सुइसाइड नोट का हिंदी अनुवाद
किसानों का दुख देखा है अपने हक के लिए
सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे दुख हुआ है
सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है
जो कि जुल्म है
जो जुल्म करता है वह पापी है
जुल्म सहना भी पाप है
किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है
किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जताया है
किसानों के हक के लिए, सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्मदाह करता है
यह जुल्म के खिलाफ आवाज है
यह किसानों के हक के लिए आवाज है
वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह
अब तक 10 से ज्यादा किसानों जा चुकी है जान
इससे पहले, कुंडली बॉर्डर पर केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन में मंगलवार को एक किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। पंजाब के मोगा जिले के गांव भिंडर कलां के निवासी मक्खन खान (42) अपने साथी बलकार व अन्य के साथ तीन दिन पहले कुंडली बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने आए थे। किसान नेताओं का कहना है कि लगभग हर रोज एक किसान की मौत हो रही है। कोरोना काल में कड़ाके की ठंड में खुले में इस तरह का प्रदर्शन काफी चुनौतीपूर्ण है। हालांकि किसानों के हौसले बुलंद हैं। उन्होंने कहा है कि वे 6 महीने तक टिकने की तैयारी के साथ आए हैं। आंदोलन में शामिल अब तक 11 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है।