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Rakesh Tikait बोले Delhi में चक्काजाम नहीं करेंगे किसान| farmers will not do chakka jaam in delhi

By गुणातीत ओझा | Published: February 6, 2021 03:34 AM2021-02-06T03:34:29+5:302021-02-06T03:35:20+5:30

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने आज शुक्रवार को कहा है कि छह फरवरी को होने वाला चक्का जाम दिल्ली में नहीं होगा।

किसान आंदोलन

दिल्ली में चक्का जाम नहीं करेंगे किसान

कृषि कानूनों (Agriculture Law) के खिलाफ जारी किसान आंदोलन (Farmers Protest) का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने आज शुक्रवार को कहा है कि छह फरवरी को होने वाला चक्का जाम दिल्ली में नहीं होगा। उन्होंने समर्थकों से अपील की है कि जो लोग यहां नहीं आ पाए वो अपने-अपने जगहों पर कल चक्का जाम शांतिपूर्ण तरीके से करेंगे। नए कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर कानून बनाए जाने की मांग करते हुए आंदोलन कर रहे किसान नेताओं ने चक्का जाम करने का ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा था कि छह फरवरी को देशभर में आंदोलन होगा। इसके साथ ही, दोपहर 12 बजे से दोपहर तीन बजे तक सड़कों को ब्लॉक भी करेंगे।

किसान संगठनों ने चक्का जाम करने का यह ऐलान बजट में किसानों को 'नजरअंदाज' किए जाने, विभिन्न जगहों पर इंटरनेट बंद करने समेत अन्य मुद्दों के विरोध में किया है। बता दें कि केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन शुक्रवार को भी जारी रहा। किसान कानूनों को वापस लेने की मांग अपनी मांग पर बरकरार हैं। दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे अन्नदाताओं का कहना है कि जब तक सरकार उनकी बात नहीं मानती है वे पीछे नहीं हटेंगे।

वहीं, 26 जनवरी की घटना के बाद से दिल्ली की सीमओं पर पुलिस और सुरक्षाबल पूरी तरह से मुस्तैद है। भारत में चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) का रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग समेत कई अतंरराष्ट्रीय हस्तियों ने समर्थन किया। वहीं, किसान आंदोलन और कृषि कानून को लेकर संसद में विपक्ष भी हंगामा कर रहा है।  26 जनवरी को हुई ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद आंदोलन कर रहे किसानों की संख्या में पिछले दिनों कमी आई थी, लेकिन भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद एक बार फिर से आंदोलन को बड़ी संख्या में किसानों का समर्थन मिलने लगा।

दूसरी तरफ केंद्र पर असंवेदनशील रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए राकांपा प्रमुख और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि अगर किसानों ने प्रदर्शन का शांतिपूर्ण रास्ता छोड़ दिया, तो देश में बड़ा संकट पैदा हो जाएगा और भाजपा सरकार इसके लिए जिम्मेदार होगी। बहुस्तरीय बैरिकैड और कंटीले तार लगाने तथा सड़कों पर कीलें ठोंके जाने को लेकर उन्होंने सरकार की आलोचना की और दावा किया कि ऐसा तो अंग्रेजों के शासन के दौरान भी नहीं हुआ।

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