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Holi Celebration in Mughal India: मुगलों के शासन में होली मनाने का अनोखा अंदाज

By आदित्य द्विवेदी | Published: March 10, 2020 09:49 AM2020-03-10T09:49:11+5:302020-03-10T09:49:11+5:30

अक्सर होली के त्यौहार में हम अपने कुछ मुस्लिम दोस्तों को ये कहते हुए सुनते हैं, कि उनके लिए रंग खेलना हराम है। क्या वाकई में ऐसा है? क्योंकि मुगल शासन के समय होली की धूम के अनेक प्रमाण मिलते हैं। 18वीं सदी के सूफी कवि बुल्ले शाह लिखते हैं...

होली खेलूंगी कह बिस्मिल्लाह नाम नबी की रत्न चरी बूंद परी अल्लाह अल्लाह. या बहादुर शाह जफर लिखते हैं... 'क्यों मो पे रंग की मारी पिचकारी देखो कुंवर जी दूँगी मैं गारी' इन पंक्तियों से उस दौर में हमारी साझा संस्कृति या गंगा जमुनी तहजीब की झलक मिलती है। लेकिन आज हम आपको सिर्फ झलक नहीं, मुगलों के वक्त होली की धूमधाम की पूरी तस्वीर पेश करेंगे।

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