शम्सुर्रहमान फारुकी का जन्म उत्तर प्रदेश में 1935 को हुआ था। फारुकी ने अंग्रेजी में एमए की डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1955 में प्राप्त की थी। इनके द्वारा रचित समालोचना तनकीदी अफकार के लिए 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से सम्मानित किया गया। उर्दू के मशहूर आलोचक और लेखक शम्सुर्रहमान फ़ारुक़ी के उपन्यास 'कई चांद थे सरे आसमां' ने हिंदुस्तानी साहित्य की दुनिया में लोकप्रियता का एक नया मक़ाम हासिल कर लिया था। उनकी रचनाओं में 'शेर, ग़ैर शेर, और नस्र (1973)', 'गंजे-सोख़्ता (कविता संग्रह)', 'सवार और दूसरे अफ़साने (फ़िक्शन)' और 'जदीदियत कल और आज (2007)' शामिल हैं। उन्होंने उर्दू के सुप्रसिद्ध शायर मीर तक़ी 'मीर' के कलाम पर आलोचना लिखी जो 'शेर-शोर-अंगेज़' के नाम से तीन भागों में प्रकाशित हुई। शम्सुर रहमान के निधन से उर्दू अदब को बड़ी क्षति हुई