Lok Sabha Elections 2024: ओमप्रकाश राजभर यानी ओपीराजभर उत्तर प्रदेश (यूपी) में दलबदल की राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा बन गए हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर लोकसभा चुनावों के पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) या फिर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ चुनावी तालमेल करना चाहते हैं.
जिसके चलते ही वह कभी भाजपा तो कभी बसपा के साथ चुनावी तालमेल करने को लेकर बयान देते रहते हैं. सोमवार भी ओमप्रकाश राजभर ने यह कहा कि यूपी में गेम चेंजर साबित होंगी मायावती, मैं बसपा से गठबंधन के लिए तैयार हूँ. उनके इस बयान का बसपा के किसी भी नेता ने संज्ञान नहीं लिया है.
राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि समाजवादी पार्टी (सपा) से नाता तोड़ने के बाद से ओमप्रकाश राजभर भाजपा या बसपा के चुनावी तालेमल करने को इच्छुक हैं, लेकिन यह दोनों ही दल अस्थिर नेता की छवि वाले ओमप्रकाश राजभर को ज्यादा भाव नहीं दे रहे हैं. ऐसे में अब मायावती की तारीफ करते हुए वह भाजपा पर दबाव बनाने की राजनीति कर रहे हैं.
ताकि भाजपा के नेता जल्द से जल्द उनके साथ चुनावी तालमेल करने पर निर्णय लें. ओमप्रकाश राजभर यूपी में राजभर समाज के बड़े नेता हैं. उनका राजनीतिक सफर बसपा के शुरू हुआ था. बसपा मुखिया मायावती के साथ खटपट होने की कारण वह बसपा से बाहर हो गए. यूपी में उनका राजनीति ग्राफ वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा से चुनावी गठबंधन के कारण तेजी से बढ़ा.
तब अमित शाह के चलते ही भाजपा में उनकी इंट्री हुई. फिर भाजपा से गठबंधन कर आठ सीटों पर चुनाव लड़ा और चार सीटें जीती. भाजपा ने उन्हे योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया लेकिन वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों के पहले वह भाजपा से नाता तोड़कर अखिलेश यादव के साथ आ गए. उन्होने अखिलेश यादव से गठबंधन कर 16 सीटों पर चुनाव लड़ा और छह सीटों पर जीत हासिल कर.
इस चुनाव के तत्काल बाद ही उन्होने सपा से नाता तोड़ लिया और अखिलेश यादव पर घर से राजनीति करने का आरोप लगाते हुए भाजपा के साथ चुनावी तालमेल करने की मुहिम शुरू की. बीते एक साथ से भाजपा के नेता उनसे बात तो करते हैं लेकिन चुनावी तालमेल को लेकर कोई फैसला नहीं करते. भाजपा नेताओ का यह रवैया ओमप्रकाश राजभर की बेचैनी बढ़ा रहा है. ऐसे में वह अब मायावती को तारीफ कर भाजपा पर दबाव बनाने के मुहिम में जुट गए हैं, ताकि भाजपा उनके मामले में जल्दी फैसला करे.
राजभर वोट के लिए भाजपा कर रही उनसे बात :
यूपी के राजनीतिक जानकारों के अनुसार, भाजपा यूपी में ओमप्रकाश राजभर से चुनावी तालमेल करने की इच्छुक है, पर अपनी शर्तों पर. भाजपा नेताओं के अनुसार, सामाजिक न्याय समिति, 2001 की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी की पिछड़ी जातियों में राजभर (भर) जाति का प्रतिशत 2.44 है. और यूपी के पूर्वांचल की 28 लोकसभा सीटों पर राजभर मतदाता 10 से 20 फीसदी हैं.
इसलिए भाजपा ओमप्रकाश राजभर को अपने साथ रखना चाहती हैं, लेकिन उनकी अस्थिर नेता की छवि के चलते जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहती है. भाजपा चुनाव के एक दो माह पहले ही इस मामले में कोई फैसला करेगी. ओमप्रकाश राजभर को लगता है, भाजपा इस मामले में उन्हे गच्चा दे सकती है.
इसलिए उन्होने बसपा का दरवाजा अपने लिए खोलने की राजनीति के तहत मायावती की तारीफ करना शुरू किया है. कभी वह कहते हैं कि मायावती के बिना विपक्ष की एकता का कोई मतलब नहीं है. तो कभी वह यह कहते हैं कि अखिलेश यादव अपनी राजनीति चमकाने के लिए मायावती की अनदेखी कर रहे हैं.
इसी क्रम में सोमवार को उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा सुप्रीमो मायावती यूपी में गेम चेंजर साबित हो सकती हैं. अगर वह सहमत होंगी तो मैं भी उनकी पार्टी के साथ गठबंधन के लिए तैयार हूं. सपा मुखिया अखिलेश यादव से नाराज ओमप्रकाश राजभर ने यह भी कह दिया यूपी में सपा भी एनसीपी की तरह टूट हो सकती है.
पार्टी के नेता सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से खुश नहीं हैं और सपा के कई नेता भाजपा में शामिल होने वाले हैं. अखिलेश यादव ने उनके इस बयान को हंसी में उड़ा दिया है. वास्तव में अखिलेश यादव अब ओमप्रकाश राजभर को भाजपा का सहयोगी मानते हैं.
सपा नेताओं का कहना है कि भाजपा के इशारे पर ही अब ओमप्रकाश राजभर कभी मायावती की तारीफ करते हैं तो कभी अखिलेश यादव की बुराई. और कभी यह कहते हैं कि यूपी के मुसलमान अब भाजपा को भी वोट दे रहे हैं, मायावती के भी साथ हैं और सपा के यह वोट बैंक अब नाराज हो गया. सपा नेता कहते हैं कि राजभर की यह सारी कवायद भाजपा के साथ चुनावी तालमेल करने को लेकर ही है.