भाजपा मीरा मांझी के जरिए अखिलेश के पीडीए को देगी चुनौती! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे चाय पीने
By राजेंद्र कुमार | Published: January 5, 2024 07:17 PM2024-01-05T19:17:20+5:302024-01-05T19:20:27+5:30
निषाद और उससे जुड़ी 17 उपजातियों का भी असर कुछ ऐसा ही है, जिसमें मांझी भी शामिल है। यूपी में इनकी गिनती अति पिछड़ों में होती है, जबकि बिहार में मांझी अनुसूचित जाति में आते हैं। गोरखपुर, मऊ, सलेमपुर, भदोही, प्रयागराज, गाजीपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, जौनपुर के साथ बुंदेलखंड की भी कुछ सीटों पर इस बिरादरी के वोटर प्रभावी संख्या में हैं।
लखनऊ: बीती 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीअयोध्या में अचानक ही मांझी बिरादरी की मीरा के घर चाय पीने पहुंच गए थे। पीएम मोदी को चाय पिलाने वाली मीरा मांझी ने सपने भी नहीं सोचा था कि उसके घर कोई छोटा मोटा नेता नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंच जाएगी। इस घटना के बाद से मीरा मांझी ना उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में जानी जा रही है। यहीं नहीं मीरा तो अब केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के सबसे प्रमुख लाभार्थी चेहरा बन गई है। और जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिट्ठी और उपहार उसके पास पहुंचे हैं, उससे मिलने आने वालों की संख्या बढ़ गई है। यहीं नहीं अब तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मीरा मांझी के जरिए अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फार्मूले को भी चुनौती देने की तैयारी में जुट गए हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी का मीरा मांझी के घर जाना भले ही एक संयोग रहा हो, लेकिन लेकिन सियासत में हर संयोग समीकरणों और संभावनाओं के दायरे में देखे जाते हैं। इसलिए, मीरा मांझी के घर पीएम मोदी के जाने को भाजपा मुद्दा बनाकर अखिलेश यादव के पीडीए फार्मूले को चुनौती देगी।
भाजपा का प्लान
भाजपा नेताओं के अनुसार आगामी 22 जनवरी को जब अयोध्या में राम मंदिर का लोकार्पण होगा तो उसके बाद योगी सरकार मीरा मांझी के जरिए पार्टी के सोशल इंजीनियरिंग के नुस्खे को उभरेगी। ताकि विपक्ष की जातीय गोलबंदी को चुनौती दी जा सके। इसके चलते लोगों को बताया जाएगा कि जिन निषादराज ने भगवान राम को नदी पार करवाई थी। मीरा भी उसी बिरादरी से आती हैं। उसके घर पीएम मोदी ना सिर्फ चाय पीने पहुंचे बल्कि मीरा उज्ज्वला योजना , पीएम आवास योजना और आयुष्मान योजना की लाभार्थी भी हैं। उसे इन सारी योजनाओं का लाभ मोदी-योगी की मिला है. विपक्ष की सरकारों ने तो उसकी सुध तक नहीं ली। भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि मीरा मांझी के जरिए यूपी और बिहार में विपक्षी दलों की जाति आधारित राजनीति को वह चुनौती देने में साफ होंगे। यूपी और बिहार में जाति चुनावी राजनीति में अहम रोल निभाती है। इन दोनों राज्यों में अलग-अलग जातियां इतना प्रभावी असर रखती हैं कि उनका समर्थन या विरोध चुनावी नतीजों को बदल सकता है।
निषाद और उससे जुड़ी 17 उपजातियों का भी असर कुछ ऐसा ही है, जिसमें मांझी भी शामिल है। यूपी में इनकी गिनती अति पिछड़ों में होती है, जबकि बिहार में मांझी अनुसूचित जाति में आते हैं। गोरखपुर, मऊ, सलेमपुर, भदोही, प्रयागराज, गाजीपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, जौनपुर के साथ बुंदेलखंड की भी कुछ सीटों पर इस बिरादरी के वोटर प्रभावी संख्या में हैं। बिहार में भी मछुआरा बिरादरी से जुड़े वोटर 7-8% बताए जाते हैं. अब मीरा माझी का जिक्र कर भाजपा इन्ही जतियों को अपने साथ जोड़ने की तैयारी में जुटेगी। भाजपा के इस प्लान से विपक्ष के साथ इन बिरादरियों के वोटों पर एकाधिकार का दावा करने वाले अखिलेश यादव सहित अन्य दलों में भी बेचैनी है।
कौन हैं मीरा मांझी
मीरा मांझी अयोध्या के ऋणमोचन घाट वॉर्ड के कंधरपुर की रहने वाली है। उसके पति का नाम सूरज मांझी है। वह फूल बेचती हैं। उसके एक बेटी और दो बेटे हैं। मीरा उज्ज्वला योजना की 10 करोड़वीं लाभार्थी बनी तो 30 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी उसके घर पहुंचने थे और मीरा द्वारा बनाई गई चाय पी थी। फिर पीएम मोदी के अयोध्या जाने के तत्काल बाद योगी सरकार ने उसे आयुष्मान योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा का कार्ड भी 30 दिसंबर की रात उपलब्ध करवाया था।