अमेरिकी लेखक और पत्रकार जेनेट वॉल्स ने अपनी एक किताब में लिखा है कि अगर आपको भगवान को करीब से महसूस करना हो तो आपको सूर्य उदय होते हुए देखना चाहिए। जेनेट के शब्द जितने सुन्दर सुनन में लगते हैं उतने ही सुन्दर देखने मे भी लगते हैं। आज की बिज लाइफ में सुबह के समय या तो लोग इतनी हड़बड़ी में होते हैं कि वह सूरज को उगते हुए देख नहीं पाते या काम के प्रेशर से इतना थक जाते हैं कि सूर्योदय के समय तक उठ नहीं पाते। लाल और पीले रंग के आकाश के साथ जब सूरज की लालिमा धरती पर पड़ती है तो मानों किसी स्वर्ग में होने की अनुभूति होती है।
अपने बिजी शेट्यूल के बीच में आपने भी कभी ना कभी सूर्योदय जरूर देखा होगा मगर क्या कभी सोचा है कि देश के किस हिस्से में सबसे पहले सूर्य उदय होता है। चौंकाने वाली बात ये हैं कि जब आप अपने बिस्तर पर सो रहे होते हैं और खिड़की के बाहर आसमान काला होता है तब किसी और कोने में सूरज की छठा बिखरनी शुरू हो जाती है। हां ऐसा सिर्फ दूसरे देशों में ही नहीं बल्कि अपने देश के एक हिस्से में भी होता है। आज हम आपको देश के ऐसे ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सबसे पहले सूर्योदय होता है।
अरूणाचल प्रदेश को कहते हैं उगते हुए सूरज की धरती
देश में सबसे पहले सूरज उगने की बात करें तो वह नॉर्इ ईस्ट के सबसे खूबसूरत अरूणाचल प्रदेश में होता है। इस प्रदेश का नाम भी इस बात की गवाही देता है। अरूणाचल प्रदेश को उगते हुए सूरज का धरती भी कहा जाता है। इस प्रदेश के छोटे से कस्बे डोंग वैली में सबसे पहले सूरज को उगते हुए देखा जा सकता है।
रात 3 बजे ही होने लगता है सूर्योदय
जी हां सूरज की रोशनी और हल्की लालिमा डोंग वैली में रात 3 बजे से ही होने लगती है। लोहित नदी के किनारे बसे इस कस्बे को प्रकृति की देन भी कही जा सकती है। सन् 1999 में इस बात की खोज की गई थी कि भारत में सबसे पहले सूर्योदय अरूणाचल प्रदेश के डोंग वैली में होता है। चारों ओर ऊंचे पहाड़, हरे-भरे पेड़ और नीले आकाश पर घिरे और सूरज के रंग में रंगे लाल-पीले बादल आपको सच में अलौकिक अनुभव प्रदान करेंगे।
8 किलोमीटर ट्रेकिंग करके लोग देखने आते हैं सूर्योदय
नए साल के अवसर पर देशभर के पर्यटक सूरज की पहली किरण को देखने डोंग वैली की देवांग घाटी पहुंचते हैं। यह घाटी लोहित जिले के मैकमोहन लाइन के करीब है। अरूणाचल प्रदेश में वैसे तो बहुत सी घूमने की जगहे हैं मगर लोग इस सूर्योदय को देखने के लिए 8 किलोमीटर पहाड़ियों पर ट्रेकिंग करके आते हैं। समुद्र तट से 1240 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस डोंग वैली में लोग ना सिर्फ खुद को प्रकृति के बीच पाते हैं बल्कि यहां का शांत और स्वच्छ वातावरण उन्हें शहर के प्रदूषण और शोर-शराबे से दूर रखता है।