देश के इन वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में देखे जा सकते हैं 'काले हिरण', जानिए इनसे जुड़े रोचक तथ्य
By मेघना वर्मा | Updated: April 5, 2018 12:51 IST2018-04-05T12:51:32+5:302018-04-05T12:51:32+5:30
काला हिरण घास के मैदानों और पतले जंगलों के इलाकों में निवास करता है। पानी के लिए उन्हें अक्सर लंबी दूरी की यात्रा तय करनी पड़ती है।

देश के इन वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में देखे जा सकते हैं 'काले हिरण', जानिए इनसे जुड़े रोचक तथ्य
सलमान खान के काले हिरण मामले में कोर्ट ने उन्हें दोषी करार कर दिया है। यह मामला बीते 20 सालों से चल रहा है और आज एक बड़ा फैसला कोर्ट की तरफ से आया है। सलमान का काला हिरण मामला जब-जब सुर्खियों में आता है, काले हिरण के बारे में जानने के लिए लोगों के बीच उत्सुकता बढ़ जाती है। आइये आज हम आपको बताते हैं बहुसिंगा प्रजाति की इकलौती जीवित जाति काले हिरण के बारे में, साथ ही जानिए देश के किन-किन वन्य अभ्यारण में काले हिरण को देखा जा सकता है।
विलुप्त होने की कगार पर हैं काले हिरण
काले हिरण को भारतीय मृग अथवा हिरण के रूप में भी जाना जाता है। इसकी ऊंचाई 74 से 84 से.मी. तक होती है। नर हिरण का वजन 20-57 किलोग्राम होता है जबकि मादा हिरण का वजन औसतन 20-33 किलोग्राम होता है। यह 50 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से भाग सकता है। इसका जीवन काल 10 से 15 वर्ष तक होता है। आईयूसीएन ने काले हिरण को लगभग विलुप्त प्राय जानवरों की श्रेणी में शामिल किया है।
पानी पीने के लिए काले हिरन करते हैं लम्बी यात्रा
काला हिरण भारतीय उपमहाद्वीप के मूल निवासी है, लेकिन बांग्लादेश में विलुप्त हो चुके हैं। नेपाल में, काला हिरण की अंतिम जीवित आबादी बर्दिया राष्ट्रीय उद्यान के दक्षिण में काला हिरण संरक्षण क्षेत्र में स्थित है। 2008 में, काले हिरण की आबादी का अनुमान 184 पाया गया था। पाकिस्तान में, काला हिरण कभी-कभी भारत के साथ सीमा पर होते हैं और लाल सुहाना राष्ट्रीय उद्यान में उनकी आबादी कायम होती है। काला हिरण घास के मैदानों और पतले जंगलों के इलाकों में निवास करता है। उन्हें पानी पाने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करना पड़ती है।
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भारत के इन वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में देखा जा सकता है काला हिरन
गिर राष्ट्रीय उद्यान, गुजरात
गिरनार जंगल के करीब है गिर राष्ट्रीय उद्यान। निश्चित तौर पे जब लोग गिरनार पहाड़ियों का दौरा कर रहे हों तो गिर जंगल को अपने कार्यक्रम में शामिल कर सकते हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान आरक्षित वन है और एशियाई शेरों के लिए एकमात्र घर है। जैसे की महत्वपूर्ण प्रजातियों का यहां संरक्षण किया जाता है यह एशिया की सबसे महत्वपूर्ण आरक्षित वनों में से एक है। यहां पारिस्थितिक तंत्र काफी विविध है। यहां आप काले हिरन, के साथ एशियाई शेर, जंगली बिल्लियां, भारतीय चीते, स्लॉथ भालू, धारीदार हाइना, रतेल्स, भारतीय कोबराज, स्वर्ण सियार, भारतीय पाम सिवेट्स, भारतीय नेवला और डेजर्ट बिल्लियों और विभिन्न बिल्लियां जैसे रसतेद धब्बेदार बिल्ली और डिजर्ट बिल्ली यहां इस जंगल में पाए जाते है। सर्पणशील जंतु जैसे मॉनिटर छिपकली , मार्श मगरमच्छ , भारतीय स्टार कछुआ को यहां देखा जा सकता है।
चंबल अभयारण्य
चंबल अभयारण्य घूमना रोमांचक अनुभव साबित हो सकता है। इसकी प्रसाशन व्यवस्था तीन राज्य उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के हाथों में है। 1979 में स्थापित इस अभयारण्य के कोर क्षेत्र में 400 किमी लंबी चंबल नदी आती है। साथ ही यह चंबल नदी के आसपास 1235 स्क्वायर किमी में फैला हुआ है। चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्य जीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है, जहां लुप्तप्राय: घड़ियाल का संरक्षण किया जाता है। चंबल अभयारण्य पक्षियों के लिए भी एक सूचिबद्ध अभयारण्य है। यहां काले हिरण के साथ 330 से ज्यादा प्रजाति की स्थानीय व प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है। यह संख्या साल दर साल बढ़ रही है।
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जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क उत्तरांचल राज्य के नैनीताल जिले में स्थित है। कहा जाता है कि इस पार्क की खोज अंग्रेजों ने 1920 में की थी। देश की आजादी के बाद इस पार्क का नाम रामगंगा नेशनल पार्क रखा गया, लेकिन कुछ सालों बाद ही इसको जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का नाम दे दिया गया था। राम गंगा नदी के किनारे बसे होने के कारण यह इसमें प्रकृति की अनोखी छटा देखने को मिलती है। इस पार्क में हाथियों के झुण्ड और हिरनों की चहलकदमी लोगों को रोमांचित करती है। इस राष्ट्रीय पार्क में हाथी और काले हिरण के अलावा शेर, बाघ, गुलदार, सांभर, चीतल, काकड़, जंगली सूअर, भालू, बन्दर, सियार, नीलगाय जैसे कई अन्य पशु-पक्षी देखने को मिलते हैं।
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के सवाईमाधोपुर जिले में स्थित है। यह उत्तर भारत के बड़े राष्ट्रीय उद्यानों में गिना जाता है। 392 वर्ग किलोमीटर में फैले इस उद्यान में अधिक संख्या में बरगद के पेड़ दिखाई देते हैं। यह उद्यान बाघ संरक्षित क्षेत्र है। यह राष्ट्रीय अभयारण्य अपनी खूबसूरती, विशाल परिक्षेत्र और बाघों की मौजूदगी के कारण विश्व प्रसिद्ध है। अभयारण्य के साथ-साथ यहां का ऐतिहासिक दुर्ग भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। लंबे समय से यह राष्ट्रीय उद्यान और इसके नजदीक स्थित रणथंभौर दुर्ग पर्यटकों को विशेष रूप से प्रभावित करता है। इस उद्यान में भी काले हिरण को देखा जा सकता है।
काले हिरण के बारे में अन्य रोचक तथ्य:
1. कृष्णमृग शाकाहारी होता है घास का भक्षण करता है।
2. मादा कृष्णमृग आठ महीनों में व्यस्क हो जाते हैं, लेकिन आम तौर पर दो साल से पहले संबंध नहीं बनाते हैं। नर, लगभग एक से डेढ़ साल में व्यस्क होते हैं।
3. गर्भकाल का समय आम तौर पर छह महीने का होता है जिसके बाद एक शावक का जन्म होता है।
4. आमतौर पर इसकी उम्र 10 से 15 साल की होती है।
5. 1972 के वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की पहली अनुसूची के तहत भारत में कृष्णमृग (काले हिरन) का शिकार करना प्रतिबंधित है।
6. कृष्णमृग 30 नर गुणसूत्र होते हैं जबकि मादा कृष्णमृग में 31 गुणसूत्र होते हैं।
7. कृष्णमृग के प्रमुख शिकारियों में भेड़िये, चीते और जंगली कुत्ते शामिल हैं।
8. जल, कृष्णमृग की दैनिक आवश्यकता है इसलिए वे पानी के पास रहना पसंद करते हैं।
9. भारतीय उपमहाद्वीप में कृष्णमृग रेगिस्तान (उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में), तटीय क्षेत्रों और पहाड़ों (उत्तरी-पूर्वोत्तर क्षेत्र में) में भी देखे जा सकते हैं।
10. कृष्णमृग को गर्म जलवायु पसंद है।
11. कृष्णमृग मुख्य रूप से दिन के दौरान सक्रिय रहता है।


