हर मंदिर अपनी परंपराओं और मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं। मंदिर में देवी-देवताओं का निवास होता जिससे करोड़ों भक्तों की आस्था जुड़ी रहती है। इतना ही नहीं मंदिर की अपनी कलाकृति और संरचना होती है, जिससे कई लोग आकर्षण होते हैं। वैसे हमारे देश में कई मंदिर है लेकिन कुछ मंदिर अपनी खास विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक भगवान शिव का मंदिर है जिसके बारे में जानकर थोड़ा हैरान हो जाएंगे। दरअसल, दूर से देखने पर भगवान शिव का यह मंदिर, मंदिर नहीं बल्कि भारतीय संसद की तरह लगेगा। भगवान शिव का यह अद्भुत मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है।
भारतीय संसद जैसा है यह मंदिर
भारतीय आकार का बना यह मंदिर ग्वालियर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर मितावली में स्थित है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर हु-ब-हु भारतीय संसद की तरह दिखता है। इस मंदिर का नाम चौसठ योगिनी मंदिर है। इस मंदिर में 101 खंभे और 64 कमरे हैं जिसके हर खंभे में शिवलिंग है। मंदिर के मुख्य परिसर में एक बड़ा शिवलिंग स्थापित है। इतना ही नहीं कमरे में शिवलिंग के साथ देवी योगिनी की मूर्ति भी स्थापित दिखाई देत थी, लेकिन अब इन्हें दिल्ली के संग्रहालय में रख दिया गया है। इसीलिए इस मंदिर का नाम चौसठ योगिनी पड़ा। माना जाता है कि करीब 1200 साल पहले 9वीं सदी के पास प्रतिहार वंश के राजाओं ने इस मंदिर को बनवाया था।
इस मंदिर में 101 खंभे और 64 कमरे हैं जिसके हर खंभे में शिवलिंग है। जबकि संसद भवन 6 एकड़ में फैला हुआ है जिसमें 12 दरवाजे और 27 फीट उंचे 144 खंभे कतारबद्ध है। जिसका व्यास 560 फुट और जिसका घेरा ५३३ मीटर है। इसके निर्माण में 1927 में 83 लाख रुपए की राशि खर्च हुई थी।
तांत्रिक विश्वविद्यालय के लिए जाना जाता है मंदिर
स्थानीय लोग इस मंदिर को तांत्रिक विश्वविद्यालय के नाम से भी जानते हैं। तांत्रिक कर्मकांड के लिए लोग यहां आधी रात को आते हैं। इस तांत्रिक मंदिर के लिए मान्यता है कि यहां भारतीयों से ज्यादा विदेशी पर्यटक आते हैं। विदेशियों को यहां स्थानीय तांत्रिकों के साथ पूजा करते देखा जाता है। ये पर्यटक अपने अनुष्ठान के पूरा होने तक स्थानीय ग्रामीण इलाकों में रहते हैं।
चार चौसठ योगिनी मंदिर में से एक
भारत में चार चौसठ योगिनी मंदिर है। दो मंदिर मध्य प्रदेश में है तो दो आंध्र प्रदेश में हैं। योगाभ्यास करने वाली स्त्री को योगिनी कहा जाता है लेकिन तांत्रिक परंपराओंमें योगिनी देवीरुपा मानी जाती हैं जो सप्तमातृकाओं से सम्बद्ध हैं। योगिनी मां काली का अवतार मानी जाती हैं। घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए माता ने ये अवतार लिए थे। ये भी माना जाता है कि ये सभी माता पार्वती की सखियां हैं।