Govardhan Puja: सिर्फ 170 रुपये खर्च कर दिल्ली से सिर्फ 2 घंटे में पहुंच सकते हैं 'गोवर्धन पर्वत'
By जोयिता भट्टाचार्या | Published: October 22, 2019 06:59 AM2019-10-22T06:59:26+5:302019-10-22T06:59:26+5:30
Govardhan Puja 2019 Trip Ideas: इस साल गोवर्धन पूजा 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने मथुरा, गोकुल, वृंदावन के निवासियों की बारिश से बचने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था।
भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। नवरात्रि खत्म होते ही लोग दिवाली की तैयारी में लग जाते हैं। लेकिन दिवाली के ही अगले दिन भारत में गोवर्धन पूजा की जाती है। इस पूजा ता खास महत्व होता है।
इस साल गोवर्धन पूजा 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने मथुरा, गोकुल, वृंदावन के निवासियों की बारिश से बचने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था।
इस पर्वत के नीचे आकर लोगों ने अपनी जान बचाई थी। इसके बाद से ब्रजवासी हर साल गोवर्धन पूजा करने लगे और यह त्योहार प्रचलित हो गया। इस दिन अपने घरों पर लोग गोबर की पूजा करते हैं। द्वापर युग से शुरू हुयी इस पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण और गौ की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उतनी ही पवित्र है जितनी मां गंगा का निर्मल जल।
कहां है गोवर्धन पर्वत?
माना जाता है कि गोवर्धन पर्वत मथुरा से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सदियों से यहां दूर-दूर से श्रद्धालु गिरिराज जी की परिक्रम करने आते हैं। ये 7 कोस की परिक्रमा लगभग 21 किमी की है। परिक्रमा के दौरान मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थान आन्यौर, राधाकुंड, कुसुम सरोवर, मानसी गंगा, गोविन्द कुंड, पूंछरी का लोटा, दानघाटी को भी देख सकते हैं।
क्यों शापित है गोवर्धन पर्वत?
ऐसा माना जाता है कि पांच हजार साल पहले यह पर्वत 30 हजार मीटर ऊंचा था लेकिन अब यह पर्वत 30 मीटर ऊंचा ही रह गया है। इसके पीछे पुलस्त्य ऋषि का शाप बताया जाता है। उनके शाप की वजह से ही यह पर्वत हर रोज मुट्ठी छोटा होता जाता है।
पर्वत के चारों ओर बसा है शहर
पर्वत के चारों तरफ से गोवर्धन शहर और कुछ गांवो को देखा जा सकता है। जिसमें दो हिस्से छूट गए है उसे ही गिर्राज (गिरिराज) पर्वत कहा जाता है। इसके पहले हिस्से में जातिपुरा, मुखार्विद मंदिर, पूंछरी का लौठा प्रमुख स्थान है तो दूसरे हिस्से में राधाकुंड, गोविंद कुड और मानसी गंगा प्रमुख स्थान है।
गोवर्धन में कहां रुके?
गोवर्धन एंव जतीपुरा में परिक्रमा लगाने वाले श्रद्धालुओं के रुकने एवं भोजन की उत्तम व्यवस्था हो जाती है। वैसे तो यहां पूरे महीने काफी भीड़ रहती है लेकिन पूर्णिमा के आस-पास ज्यादा भीड़ बढ़ जाती है।
कैसे पहुंचे गोवर्धन पर्वत?
ट्रेन से
गोवेर्धन का नजदीकी स्टेशन मथुरा जंक्शन है। जहां से पर्यटक टैक्सी से आसानी से गोवर्धन पर्वत पहुंच सकते हैं। ट्रेन से मथुरा जाने का खर्चा एक्सप्रेस ट्रेन में कम से कम 140 रुपये लगेंगे।
बस से
पर्यटक, श्रद्धालु बस या कार से आसानी से मथुरा से गोवर्धन पहुंच सकते हैं। इसके लिए उन्हें सिर्फ 500 रुपये खर्च करने होंगे वो भी एसी बस के।
गोवर्धन की मुख्य शहरों से दूरी
दिल्ली-206 किमी
मथुरा-22 किमी
जयपुर-219 किमी
आगरा-77 किमी