जैसे आम लोग अपने काम के लिए बैंकों से लोन लेते है, उसी तरह बैंक अपने काम के लिए रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं। इस लोन बैंक जिस रेट से ब्याज चुकाते हैं उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट का सीधा असर आम लोगों पर पड़ता है, क्योंकि अगर रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को महंगा लोन मिलेगा और वो अपने ग्राहकों को ज्यादा रेट पर लोन देंगे। वहीं अगर रेपो रेट कम होगो तो कों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा और वो भी ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। Read More
Monetary policy review: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को वैश्विक स्तर पर संकट को देखते हुए अगले वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़कर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। यह चालू वित्त वर्ष के सात प्रतिशत के अनुमान से कम है। ...
भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया है। पिछले साल मई से अब तक 6 बार रेपो दर बढ़ चुकी है। जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 6.4 को प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है। ...
अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ने की उम्मीद है। ऐसे में केंद्रीय बैंक रेपो दर में सिर्फ 0.25 प्रतिशत की वृद्धि का विकल्प चुन सकता है। ...
Union Budget 2023-24: मई से रेपो दरों में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिसकी वजह से आवास ऋण पर ब्याज दरें बीते सात महीने में करीब दो प्रतिशत बढ़कर 8.5 प्रतिशत हो गई हैं। ...
एलआईसीएचएफ ने बयान में कहा कि उसने कर्ज पर ब्याज दर से संबंधित ‘एलआईसी हाउसिंग मुख्य ऋण दर (एलएचपीएलआर) में 0.35 प्रतिशत की वृद्धि की है। कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक वाई विश्वानाथ गौड़ा ने कहा, ‘‘दरों में वृद्धि बाजार की परिस्थितियों क ...
मई से अब तक एचडीएफसी अपनी ऋण दरों में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। एचडीएफसी ने कहा कि 8.65 प्रतिशत की नई दर सिर्फ उन ग्राहकों के लिए ही होगी जिनका ‘क्रेडिट स्कोर’ 800 या उससे अधिक होगा। ...
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने टेलीविजन पर प्रसारित बयान में कहा, ‘‘मौजूदा आर्थिक स्थिति पर विचार करते हुए एमपीसी ने नीतिगत दर रेपो 0.35 प्रतिशत ...