अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि आवंटित की जाए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया है। इस विवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। Read More
उपरोक्त निर्णय इस बात का उदाहरण है कि पुरातत्व की खुदाइयों का इस प्रकार से भी उपयोग किया जा सकता है और पुरातात्विक प्रमाणों को न्यायिक साक्ष्य के रूप में भी स्वीकार किया जा सकता है. ...
सामाजिक ताने-बाने को बर्बाद कर रही कानूनी लड़ाई पर पर्दा गिराते हुए शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि जमीन के बंटवारे से किसी का हित नहीं सधेगा और ना ही स्थायी शांति और स्थिरता आएगी। ...
बीजू जनता दल के अध्यक्ष पटनायक ने ट्वीट में कहा, ‘‘हम माननीय उच्चतम न्यायालय के अयोध्या फैसले का सम्मान करते हैं। यह हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की पुष्टि करता है। ...
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने मुसलमान पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि राम लल्ला विराजमान की ओर से दायर याचिका बेवक्त है क्योंकि घटना 1949 की है और याचिका 1989 में दायर की गयी है। ...
पांच अक्टूबर को सत्र अदालत ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक सभी गवाहों को 24 दिसंबर, 2019 तक प्रस्तुत करना होगा और यह तारीख (इस मामले में) आखिरी कार्य दिवस होगा। ...
इस संबंध में 1989 में देवता की ओर से मुकदमा दायर किया गया था जो वाद मित्र के जरिये दायर किया गया था। इसमें यह घोषित करने की मांग की गयी थी कि ‘‘श्री राम जन्मभूमि का पूरा परिसर’’ नये मंदिर के हक में दिया जाए और उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ सेंट्रल बोर्ड स ...
अयोध्या फैसले को लेकर देश के अलावा दुनियाभर से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इस मामले में दखलंदाजी करते हुए नकारात्मक टिप्पणी की है। ...